उभरते और विकसित देशों की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में रुपया 

मुंबई- रुपये में जारी उतार-चढ़ाव के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उभरते बाजारों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के मुकाबले घरेलू मुद्रा अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है। हम रुपये के मूल्य में आ रही गिरावट को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं यानी केंद्रीय बैंक रुपये में तेज उतार-चढ़ाव और अस्थिरता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।  

हाल ही में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 80 के पार पहुंच गया था। डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल 7.5 फीसदी टूट चुका है। बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यक्रम में गवर्नर ने कहा, आरबीआई के विभिन्न कदमों से रुपये के सुगम कारोबार में मदद मिली है। विदेशी पोर्टफोलियो की निकासी और आयात जरूरतों से बाजार में डॉलर की आपूर्ति कम हो जाने से हमने डॉलर की उपलब्धता बढ़ा दी है।  

विदेशी मुद्रा की नकदी को समुचित स्तर पर बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक बाजार में डॉलर की आपूर्ति करता है। हालांकि, रुपये के एक खास स्तर तक बने रहने को लेकर कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है। लेकिन, हम इसका व्यवस्थित विकास सुनिश्चित करना चाहेंगे और घरेलू मुद्रा में तेज उतार-चढ़ाव नहीं होने देंगे।  

उन्होंने आगे कहा कि जोखिम से बिना बचाव वाले विदेशी कर्ज से परेशान होने की जरूरत नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बड़ी संख्या में ऐसे लेनदेन कर रही हैं। सरकार जरूरत पड़ने पर इसमें हस्तक्षेप करती है और मदद भी दे सकती है। 

गवर्नर ने कमजोर रुपये को सहारा देने के लिहाज से विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल का पुख्ता संकेत देते हुए कहा कि बारिश के समय इस्तेमाल करने के लिए छाता खरीदा जाता है। इसलिए आरबीआई ने अचानक एवं अस्थिर उठापटक के दौरान यह सुनिश्चित किया है कि विदेशी मुद्रा बाजार टिकाऊ ढंग से काम करे और उसे लेकर अपेक्षाएं भी धरातल पर रहें।  

दास ने कहा, लक्ष्य के अनुसार महंगाई का स्तर बनाने रखने के लिए 2016 में अपनाए गए मौजूदा ढांचे ने बहुत अच्छा काम किया है। अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र के हित की खातिर यह जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा, तात्कालिक जरूरतों के लिए हमें अपने लक्ष्य नहीं बदलने चाहिए। हालांकि, आयातीय वस्तुओं की महंगाई एक बड़ी चुनौती है क्योंकि भारत जिसों का बड़ा आयातक है। 

डिजिटल मंच के जरिये कर्ज बांटने वाली फिनटेक कंपनियों को चेतावनी देते हुए दास ने कहा कि उन्हें अपने दायरे में रहकर काम करना चाहिए। सिर्फ वही कार्य करने चाहिए, जिसके लिए उन्हें लाइसेंस दिया गया है। डिजिटल मंचों के जरिये कर्ज बांटने को लेकर अगले कुछ सप्ताह में नई नीति लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल नवंबर में गठित समिति ने डिजिटल लोन एप पर नियंत्रण के लिए कई सुझाव दिए हैं।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *