वित्तमंत्रालय ने बैंकों से कहा- साइबर सुरक्षा मजबूत करें और धोखाधड़ी रोकें 

मुंबई। वित्तमंत्रालय ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि वे फिनटेक और को-लेंडिंग के अवसरों को तलाशें। यानी इनके जरिये भागीदारी कर कर्ज बांटें और कारोबार बढ़ाएं। फिनटेक का मतलब फाइनेंस और टेक कंपनियों से है। जबकि को- लेंडिंग का मतलब एनबीएफसी या किसी और के साथ भागीदारी करने से है।  

हाल में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर उनके कारोबार की समीक्षा की थीं। बैंकों से कहा गया है कि वे टेक्नोलॉजी और डाटा के विश्लेषण पर फोकस करें, ताकि उधारी को बढ़ाया जा सके। 

मंत्रालय ने बैंकों से यह भी कहा कि धोखाधड़ी को जांचने के लिए आईटी सुरक्षा व्यवस्था और साइबर सुरक्षा को मजबूत करें। इसके साथ ही उत्पादक वाले क्षेत्रों को कर्ज मंजूर करें ताकि अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, सरकारी बैंकों की उधारी मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तवर्ष में 7.8 फीसदी रही, जो एक साल पहले 3.6 फीसदी थी। 

बैंक ऑफ महाराष्ट्र की उधारी में 26 फीसदी और जमा में 16.26 फीसदी की वृद्धि दर रही और यह 1.35 लाख करोड़ रुपये रहा। एसबीआई और यूनियन बैंक की उधारी की विकास दर 10.27 और 9.66 फीसदी रही थी। सूत्रों ने कहा कि बैंकों को बुरे फंसे कर्ज (एनपीए) की रिकवरी का भी आदेश दिया गया है। 

सूत्रों ने बताया कि बैठक में मंत्रालय ने 100 करोड़ रुपये के एनपीए पर चर्चा की और कहा कि इन्हें भी वसूलने की कोशिश हो। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब देश के सभी सरकारी बैंक फायदे में हैं। इनका फायदा वित्तवर्ष 2022 में 66,539 करोड़ रुपये रहा, जो उसके पहले के साल के 31,820 करोड़ की तुलना में दोगुना है। 

2015 से 1019-20 तक यह सभी बैंक घाटे में थे। 2017-18 में इनका सबसे ज्यादा घाटा 85,370 करोड़ रुपये था। 2018-19 में 66,636 करोड़ का घाटा हुआ था। सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के दौरान कुल 3.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी इन बैंकों में डाली थी। 

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