LIC के IPO में क्या-क्या है खतरा, यहां पर जानिए 

मुंबई- देश की सबसे बड़ी और सरकारी बीमा कंपनी LIC का इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) अगले महीने आएगा। साल 2021 में IPO के जरिए विभिन्न कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे।  

बाजार भी LIC के IPO का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। निवेशकों में भी इसे लेकर दिलस्पी देखने को मिल रही है। हालांकि इन सब जोश और उत्साह के बीच कुछ खतरे भी हैं, जिन्हें निवेशकों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। इसके अलावा एक बड़ी चिंता सेबी के नियम को लेकर है, जिसके तहत शेयर बाजार में लिस्ट होने वाली किसी भी कंपनी को तीन साल के अंदर तक 25 फीसदी हिस्सेदारी पब्लिक के लिए रिजर्व रखनी होती है।  

LIC अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी ही IPO के जरिए बेच रही है। इसका मतलब है कि LIC को अगले तीन साल के अंदर अपनी 20 फीसदी और हिस्सेदारी बेचनी होगी। इस तरह LIC को हर साल औसतन अपने करीब 42 करोड़ शेयर पब्लिक को बेचने होंगे, जिनकी कुल कीमत करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए होगी। 

जानकार इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या बाजार इतनी भारी संख्या में शेयरों की सप्लाई को संभाल पाएगा? अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्या सरकार LIC के लिए कोई विशेष कानून बना उसे 25 फीसदी पब्लिक हिस्सेदारी के नियम से छूट देगी? सेबी की इस मामले में क्या भूमिका होगी? इन सब सवालों को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है। 

LIC आईपीओ में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 65 से 70 हजार करोड़ रुपए जुटा सकती है। लिस्टिंग के बाद, LIC मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और टाटा कंसल्टेंसीज सर्विसेज (TCS) के बाद तीसरी सबसे बड़ी कंपनी होगी। LIC के IPO में करीब 35 पर्सेंट हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व रखने की बात आ रही है।  

यह करीब 11 करोड़ शेयर होगा। पिछले साल अक्टूबर तक भारत में सिर्फ 7.3 करोड़ लोगों के पास डीमैट अकाउंट थे। ऐसे में यह देखना होगा कि रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा कितना भर पाता है या इसे हिस्से को कितना गुना अधिक बोली मिलती है। 

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