चित्रा से CBI की पूछताछ, तीन लोगों के देश छोड़ने पर पाबंदी लगी
मुंबई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व प्रबंध निदेशक (MD) चित्रा रामकृष्ण की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही हैं। उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। शुक्रवार को केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने को-लोकेशन मामले में पूछताछ की है।
इसी के साथ एजेंसी ने उनके और एक अन्य पूर्व CEO रवि नरेन तथा पूर्व चीफ ऑपरेशनल ऑफिसर (COO) आनंद सुब्रमणियन के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी की है। यानी ये अब देश छोड़कर नहीं जा सकेंगे। CBI ने दिल्ली की OPG सिक्योरिटीज के मालिक और प्रमोटर्स संजय गुप्ता को भी को-लोकेशन के मामले में आरोपी बनाया है।
एजेंसी ने FIR में कहा है कि संजय गुप्ता पहले शख्श थे, जिनको अन्य ब्रोकर्स की तुलना में कुछ सेकेंड पहले एक्सचेंज के सर्वर का एक्सेस मिल जाता था। एजेंसी इसी के साथ सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ और अधिकारियों की जांच कर रही है।
चित्रा NSE में अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक MD थीं। वे वित्त वर्ष 2016 में एक्सचेंज से इस्तीफा देने से पहले फाइनेंशियल सर्विसेस इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाली दूसरी अधिकारी थीं। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने एक बाबा को एक्सचेंज की खुफिया जानकारी दी। इससे पहले चित्रा के घर पर गुरुवार को इनकम टैक्स की रेड पड़ी थी। NSE के अफसरों के वित्त मंत्रालय में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के ठीक बाद ही चित्रा के छापा पड़ा था।
को-लोकेशन के मामले में सेबी ने मई 2019 में NSE पर 625 करोड़ रुपए का फाइन लगाया था। साथ ही इसे 6 महीने तक पैसा जुटाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। चित्रा ने अपने कैरियर की शुरुआत 1985 में IDBI बैंक में प्रोजेक्ट फाइनेंस से शुरू किया था। NSE जब 1992 में शुरू हुआ तब से वे इसके साथ में थीं।
सितंबर में भी सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर 6 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना NSE द्वारा 6 कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने के मामले में लगाया गया था। NSE पिछले 6 साल से अपना IPO लाने की कोशिश कर रही है। इसके जरिए वह 10 हजार करोड़ रुपए जुटाना चाहती है, पर सेबी की ओर से इसकी मंजूरी अभी तक नहीं मिल पाई है। सेबी ने चित्रा पर 4 दिन पहले ही 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
इससे पहले पिछले साल सेबी ने को-लोकेशन के मामले में NSE, इसके पूर्व MD और पूर्व CEO पर 1.50 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई थी। सेबी ने तब 96 पेज के ऑर्डर में कहा कि उसने जनवरी से अगस्त 2015 के दौरान ढेर सारी शिकायतें पाई थीं। यह शिकायत केन फोंग ने की थी। शिकायत को-लोकेशन सुविधा को लेकर थी। को-लोकेशन का मतलब एक-एक ब्रोकर को कुछ सेकेंड पहले कारोबार की सुविधा देने से है, जबकि कुछ लोगों को यही सुविधा कुछ सेकेंड बाद में मिलती थी।
सेबी ने कहा कि कुछ लोगों को को-लोकेशन सुविधा देकर NSE ने 2010-11 के दौरान 624 करोड़ रुपए का फायदा कमाया। इससे पहले सेबी ने पिछले साल अगस्त में ही चित्रा रामकृष्णा को दिए गए कंपेनसेशन के मामले में 50 लाख रुपए की पेनाल्टी NSE पर लगाई थी।

