भारी सुरक्षा के बीच उत्तर प्रदेश में मतदान शुरू, नोएडा में फोर्स बुलाई गई

मुंबई- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान जारी है। पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। वोटिंग सुबह 7 से शाम 6 बजे तक होगी। पहले चरण में 623 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें 73 महिलाएं हैं। इसके अलावा 9 मंत्री भी सियासी दंगल में हैं।

पहले चरण में कुल 2.27 करोड़ वोटर्स हैं। इसमें पुरुष 1.27 करोड़ और महिलाएं 1 करोड़ हैं। 2017 के चुनाव में इन 58 सीटों में भाजपा ने 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, सपा-बसपा ने दो-दो और रालोद महज एक सीट जीत पाई थी। जयंत चौधरी ने सुबह वोट नहीं डाला है। जबकि शामली में कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि उनको वोट नहीं डालने दिया गया है। मुजफ्फरनगर भोकरहेड़ी में ईवीएम मशीन खराब होने के कारण मतदान रुक गया है।

कोरोना पॉजिटिव लोग भी दे सकते हैं वोट। मेरठ में बारिश के चलते भरा था पानी, सेना ने इमरजेंसी में सड़कें बनाईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा- पहले मतदान, फिर जलपान। कोहरे और ठंड के बावजूद लोग भारी संख्या में वोटिंग के लिए निकले। हिजाब पर तमाम विवाद के बीच मुस्लिम महिलाएं बुर्का में पहुंचीं वोटिंग के लिए। कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने कहा- देश को डर से आजाद करें, वोट करें। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा- पश्चिमी यूपी वोट नहीं, अपराधियों पर चोट कर रहा है

सुबह से मतदान के लिए काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। धुंध और कोहरे के बावजूद वोटिंग करने के लिए लोग सुबह से ही कतारों में नज़र आए। नेता और मंत्रियों ने मतदान से पहले पूजा-अर्चना की और उसके बाद अपने बूथ पर पहुंच गए। आगरा में उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचीं तो मथुरा में यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा पत्नी के साथ वोटिंग करने पहुंचे।

शामली और मेरठ से ईवीएम के खराब होने की भी खबरें आई हैं। शामली के गाँव गोहरपुर मे ईवीएम मशीन मात्र 3 वोट पड़ने के बाद ही खराब हो गई। यहां मतदान रुक गया है और मतदान स्थल पर लंबी लाइन लग गयी है। मेरठ में कैंट में मतदान केंद्र के बूथ नंबर- 20 पर एक EVM के खराब होने की सूचना प्रशासन को दी गई है। तकनीकी टीम उसे जल्द सुधारने में लगी है।

पश्चिम यूपी में मुस्लिम वोट बैंक इस बार बिखराव की स्थिति में नहीं दिख रहा। माना जा रहा है कि सिर्फ उन्हीं सीटों पर मुस्लिम वोट बंट सकता है, जहां बसपा ने अपने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। किसान आंदोलन के मुद्दे पर जाट इस सरकार से नाराज दिख रहे हैं। हालांकि, अमित शाह, योगी समेत तमाम मंत्रियों ने किसी न किसी तरह जाटों की नाराजगी दूर करने की कोशिशें जरूर की हैं। वहीं, दलित वोट बैंक चुप्पी साधे हुए हैं। सहारनपुर, आगरा में कुछ सीटों पर दलित निर्णायक स्थिति में हैं।

पश्चिमी यूपी में इस बार भी विकास और रोजगार मुद्दा नहीं बन पाए हैं। आखिरी दौर में नेताओं के भाषण जिन्ना, मुसलमान, आतंकी, गुंडे, मंदिर-मस्जिद, मुजफ्फरनगर दंगे पर केंद्रित होकर रह गए। नेताओं ने पहले चरण के चुनाव के आखिरी वक्त तक वोटों के ध्रुवीकरण के भरसक प्रयास किए।

भाजपा ने पिछली बार जीते हुए 53 विधायकों में से 19 के टिकट इस बार काट दिए हैं। साथ ही 4 हारे हुए उम्मीदवारों पर भरोसा न करते हुए नए चेहरों को मैदान में उतारा है। 3 ऐसे उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है, जिन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था। इनमें खैरागढ़ से भगवान सिंह कुशवाहा, बरौली से ठाकुर जयवीर सिंह और एत्मादपुर से डॉ. धर्मपाल सिंह शामिल हैं।

कांग्रेस ने पहले चरण की सभी 58 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें पांच उम्मीदवार ऐसे हैं जो पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे। इनमें पुरकाजी सीट से दीपक कुमार, कोइल से विवेक बंसल, मथुरा से प्रदीप माथुर, बलदेव से विनेश कुमार और आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से उपेंद्र सिंह शामिल हैं। ऐसे में बाकी 53 सीटों पर नए चेहरे मैदान में है। पिछले चुनाव में सपा के साथ गठबंधन होने के चलते कांग्रेस 23 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

पहले चरण में योगी सरकार के 9 मंत्रियों की किस्मत का भी फैसला होगा। इसमें गाजियाबाद सीट से अतुल गर्ग, शामली के थाना भवन सीट से मंत्री सुरेश राणा, मथुरा सीट से मंत्री श्रीकांत शर्मा, अतरौली सीट से राज्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह, शिकारपुर सीट से अनिल शर्मा, मुजफ्फरनगर सीट से मंत्री कपिल देव अग्रवाल, हस्तिनापुर से दिनेश खटिक, आगरा छावनी से डॉ. जीएस धर्मेश और छाता सीट से चौधरी लक्ष्मी नारायण मैदान में हैं।

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