केजरीवाल- सुप्रीमकोर्ट दोनों को मोदी सरकार का झटका, अध्यादेश लाकर पलटा कोर्ट का फैसला 

मुंबई-दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का डर सच साबित हुआ है। दिल्‍ली के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे लाया गया है। केजरीवाल का दावा है कि इसके जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की साजिश की गई है। शीर्ष अदालत ने ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था।  

अध्‍यादेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात कही गई है। अध्‍यादेश कहता है क‍ि ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का काम राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) देखेगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के पदेन प्रमुख होंगे।  

दिल्ली के प्रधान गृह सचिव पदेन सचिव होंगे। दिल्ली के मुख्य सचिव, प्रधान गृह सचिव प्राधिकरण के सचिव होंगे। ट्रांसफर-पोस्टिंग का फैसला अकेले मुख्यमंत्री नहीं करेंगे। बहुमत के आधार पर प्राधिकरण फैसला लेगा और आखिरी फैसला उपराज्यपाल (LG) का मान्य होगा। 


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस अध्‍यादेश के आने से पहले अपना डर जाहिर किया था। उन्‍होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश के जरिये पलटने की ‘साजिश’ की जा रही है। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली सरकार को अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवा मामलों में कार्यकारी शक्ति दी गई थी।  

उन्होंने एक ट्वीट में सवाल किया था, ‘क्या केंद्र सरकार न्यायालय के आदेश को पलटने की साजिश कर रही है? क्या उपराज्यपाल साहब अध्यादेश का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे?’शुक्रवार को जारी अध्यादेश के अनुसार, सभी ग्रुप ए अधिकारियों और दानिक्स के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति की जिम्मेदारी नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की होगी। अभी तक मुख्य सचिव और प्रिंसिपल सेक्रेट्री होम केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त किए हुए हैं।

इस अध्यादेश के बाद ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेगा। साथ ही संसद के दोनों सदनों से अध्यादेश को मंजूरी लेनी होगी। राज्य सभा में सरकार को बहुमत नहीं है। वहां विपक्षी पार्टियां इसे लेकर एकजुट हो सकती हैं। वहां फेडरेलिज्म को लेकर मुद्दा बनाया जा सकता है। 

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