रघुराम राजन ने कहा, शहरी कामगारों के लिए भी मनरेगा की तरह व्यवस्था हो

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने कहा है कि भारत को जरूरत है कि वह सिर्फ मैन्युफक्चरिंग या कृषि जैसे सेक्टर्स के बारे में सोचना बंद करे। सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक रोडमैप बनाए। राजन ने बताया कि इस समय भारत को न तो ज्यादा आशावादी होने और न ही ज्यादा निराशावादी होने की जरूरत है।  

उनके मुताबिक, कुछ उपायों में मनरेगा को अच्छी तरह से फाइनेंस करना और उन सेक्टर्स को संभालना शामिल होना चाहिए जो बुरे दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में टेलीमेडिसिन, टेली लॉयरिंग और एजुटेक जैसे नए सेक्टर्स की ओर देखने की जरूरत है। राजन के मुताबिक, इन उद्योगों को फंडिंग की नहीं, बल्कि वैश्विक मानकों को पूरा करने वाले डेटा प्रोटेक्शन के बेहतर नियमों की जरूरत है।  

राजन ने कहा कि बाजार के साथ-साथ जनता का विश्वास बनाए रखना किसी भी बजट का उद्देश्य होता है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाए, इस बारे में एक निश्चित रोडमैप होना चाहिए। यह विश्वसनीय होना चाहिए और दिखना भी चाहिए। नहीं तो यह लापरवाही का संकेत देता है। इस पॉइंट पर आकर डिमांड का समर्थन करने की भी जरूरत है। केंद्र और राज्यों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया जाना चाहिए। राजन कहते हैं कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि राज्य वह कर रहे हैं जो वे वहां कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने से ही लो लेवल पर ही सही, नौकरियों का निर्माण होगा। इसकी फिलहाल सख्त जरूरत है। 

राजन के मुताबिक सेवाओं के बारे में बात करना शुरू कर देना चाहिए जो इसकी बड़ी ताकत है। किसी भी चीज़ से अधिक इस वर्ष के बजट को एक विज़न की जरूरत है। मैं बजट दस्तावेज देखता हूं जो कहता है कि यह वह रास्ता है जिसे हम अगले पांच वर्षों में चुनते हैं और हर साल हम इसे थोड़ा अपडेट करते हैं लेकिन वह रास्ता, वह विजन लगभग स्थिर लगता है।  

राजन के अनुसार, महंगाई को अगर समय रहते ठीक से हैंडल नहीं किया जाता तो आगे चलकर यह विकराल रूप धारण कर लेगी। राजन कहते हैं कि कोई भी देश महंगाई से संतुष्ट नहीं हो सकता है, और भारत इसका उदाहरण है। उम्मीद है कि आरबीआई महंगाई की दर को नियंत्रण में रखेगा।  

राजन कहते हैं कि समय आ गया है कि हम फिर से ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव पर नजर रखें। भारत और अन्य जगहों पर सिस्टम में लिक्विडिटी बहुत अधिक है। ब्राजील जैसे कुछ उभरते बाजार पहले ही इसकी मार खा चुके हैं। यह एक ऐसा युग है जहां सभी बाजार आपस में जुड़े हुए हैं, इसलिए भारत को उस समय के लिए तैयार रहने की जरूरत है जब अमेरिका ब्याज दरें बढ़ाता है।  

उन्होंने कहा कि महामारी ने भारत में नौकरियां गायब करने के बाद रिवर्स माइग्रेशन को जन्म दिया। भारत में क्रेडिट सीन इस समय बहुत सारी समस्याओं में फंस गया है। इनमें लोगों को उधार लेना मुश्किल हो रहा है, बैंक स्वयं फंस गए हैं। जबकि क्रेडिट फ्लो सबसे अच्छा है। उन्होंने कहा कि भारत को न केवल लोन की मांग में वृद्धि की जरूरत है, बल्कि उसकी आपूर्ति में भी जरूरत है। 

अपर मिडल क्लास ने बहुत अच्छा किया है क्योंकि महामारी के दौरान उन्हें कभी भी काम बंद नहीं करना पड़ा, जबकि लोअर मिडल क्लास के लोगों को काफी परेशानियां उठानी पड़ी। राजन ने अपनी बात रखने के लिए कृषि क्षेत्र में रोजगार की बढ़ती संख्या का हवाला दिया और कहा कि यह एक बहुत ही अजीबोगरीब घटना है क्योंकि कोई भी विकासशील अर्थव्यवस्था कृषि रोजगार में वृद्धि नहीं देखती है।  

महामारी ने भारत में उन लोअर मिडिल क्लास के लोगों की असुरक्षा को उजागर कर दिया जो शहरों में जाकर नौकरी करते थे। ग्रामीण भारत में मनरेगा जैसा नेटवर्क है, पर शहरी भारत में ऐसा कुछ नहीं है। इसलिए शहर के कई लोग रिवर्स पलायन कर गांव चले गए ताकि उन्हें मनरेगा जैसा कोई काम मिल जाए। इसलिए महामारी के दौरान गांव में मनरेगा की डिमांड बढ़ गई। ऐसे में भारत को तत्काल एक अर्बन सेफ्टी नेट की जरूरत है।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *