सॉवरेन गोल्ड बांड्स या फिजिकल गोल्ड: आपको क्या खरीदना चाहिए?
मुंबई- इसे परम्परा कहें या निवेश की बुद्धिमानी-भरी युक्ति, भारत में त्यौहारों का मौसम और यलो मेटल की भारी खरीद के बीच हमेशा एक गहरा नाता रहा है। सोने को शुभ तो माना ही जाता है, यह परम्परागत रूप से निवेश के सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक भी रहा है। वर्ष 2016 के बाद से सोने का भाव लगभग दोगुना हो गया है। इस प्रकार इसने करीब 11% का वार्षिक प्रतिलाभ दिया है, जबकि वर्ष 2020 में करीब 30% का प्रतिलाभ देखने को मिला। कुछ दशक पहले तक सोना खरीदने के लिए बुलियन (सोना-चांदी) और ज्वेलरी ही केवल दो प्रचलित विकल्प हुआ करते थे। समय के साथ आज अनेक विकल्प उपलब्ध हैं जहाँ कोई निवेशक बड़ी आसानी से भौतिक रूप से सोना रखे बगैर इसमें निवेश कर सकता है। ऐसा ही एक विकल्प है सॉवरेन गोल्ड बांड्स।
निवेशक को गोल्ड के लिए सॉवरेन गोल्ड बांड्स और फिजिकल गोल्ड के बीच फैसला कैसे करना चाहिए इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहें हैं एंजेल वन लिमिटेड के नॉन एग्री कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च एवीपी प्रथमेश माल्या।
सॉवरेन गोल्ड बांड्स क्या हैं:
सॉवरेन गोल्ड बांड्स (एसजीबी) को सोने के मूल्य के डेरीवेटिव के रूप में वर्ष 2015 में प्रस्तुत किया गया था। इन बांड्स को भारत सरकार का संरक्षण प्राप्त है और एक वित्तीय वर्ष में विभिन्न हिस्सों में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किया जाता है। ये बांड्स लचीले होते हैं और इनका मूल्यन 1 ग्राम सोने की कीमत के बराबर मूल्य से आरम्भ होता है। निवेशक कारोबारी खातों, एजेंटों, चुनिन्दा बैंकों, डाकघरों, और स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से इन बांड्स में सौदा कर सकते हैं। निवेशक न्यूनतम एक यूनिट (एक ग्राम) और अधिकतम 4 किलोग्राम तक का खरीद निवेश कर सकते हैं।
एसजीबी में निवेश करना लचीला और सुविधाजनक है:
जैसा कि पहले बताया गया है, एसजीबी विभिन्न प्लैटफॉर्म्स के माध्यम से विभिन्न वेंडर्स द्वारा बेचे जाते हैं। इसे एक निवेश कोष के तहत रखा जा सकता है और दोस्तों तथा परिवार के सदस्यों को उपहार में भेंट किया जा सकता है। इसलिए, अगर कोई निवेशक ‘धनतेरस शगुन’ के रूप में थोड़ा-सा सोना खरीदना चाहते हैं तो उनके लिए एसजीबी सर्वोत्तम विकल्प साबित हो सकते हैं। इस प्रकार, किसी विक्रेता के पास उपलब्ध ज्वेलरी या सोना-चांदी के विकल्प के अनुसार निवेश की योजना बनाने के बदले निवेशक अपेक्षित धनराशि को इस विकल्प में निवेश करने के लिए त्वरित ढंग से नियत कर सकता है। ये बांड्स डीमैट फॉर्मेट में धारित रहते हैं, इसलिए किसी प्रकार की भौतिक चोरी का कोई डर नहीं रहता।
निवेशक निवेश के मूल्य और उसकी पूँजी की वृद्धि के बारे में निश्चिन्त रह सकता है। इन बांड्स में किया गया निवेश मेकिंग चार्ज से मुक्त होते हैं जो ज्वेलरी या किसी अन्य बुलियन की फिजिकल डिलीवरी लेते समय निवेशक द्वारा अन्यथा रूप से खरीदार को चुकता किया जाता है। इन बांड्स की कुल अवधि आठ वर्ष है। अगर निवेशक इन बांड्स को पूरी अवधि तक धारण करता है तो उसे दीर्घकालिक पूंजीगत लाभों पर टैक्स की छूट मिलती है। लेकिन इन बांड्स की बिक्री पर पाँच वर्ष की लॉक- इन अवधि होती है। इसके अलावा, इन बांड्स पर 2.5% प्रति वर्ष की नियत ब्याज दर का उपार्जन होता है जिसका भुगतान छमाही अंतराल पर होता है।
सॉवरेन गोल्ड बांड्स में सिस्टेमैटिक निवेश की संभावना:
निवेशक सावरेन गोल्ड बांड में धनतेरस त्यौहार से निवेश आरम्भ करके क्रमिक निवेश का रास्ता भी चुन सकता है। इस पद्धति से पोर्टफोलियो के विविधीकरण में मदद मिलेगी और निवेशक इन बांड्स में अपनी वित्तीय योजना के अनुसार छोटी-छोटी राशियाँ रख सकता है।
सावरेन गोल्ड बांड ने निवेश को ज्यादा सुलभ, लचीला और सुविधाजनक बना दिया है। यह निवेशकों को तरलता (लिक्विडिटी) प्रदान करता है। इसके अलावा, ऐसे अनेक वेंडर और प्लैटफॉर्म हैं जिनके माध्यम से इनका वितरण किया जाता है। धनतेरस उत्सव के अवसर पर सोने में कोई धनराशि लगाने के इच्छुक निवेशक के लिए एसजीबी एक शानदार विकल्प हो सकते हैं। भले ही इसमें ऑनलाइन सौदे से ज्वेलरी या बुलियन पास में होने का आनंद नहीं मिलता, तो भी निवेश के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह फिजिकल गोल्ड खरीदने की तुलना में एक बेहतर विकल्प हो सकता है।