खाने के तेलों की कीमतों में आ सकती है कमी, सरकार ने घटाई ड्यूटी
मुंबई- खाने के तेल सस्ते हो सकते हैं। सरकार ने क्रूड और रिफाइंड पाम ऑयल, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल के आयात पर लगने वाली बेस इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी है।
बेस इंपोर्ट टैक्स में कटौती का कदम रसोई में इस्तेमाल होनेवाले तेलों की कीमत त्योहारी सीजन से पहले नीचे लाने के मकसद से उठाया गया है। सरकार ने रसोई तेलों के आयात पर जो बेस टैक्स घटाया है, उसका पूरा फायदा कंज्यूमर तक पहुंचता है तो उनकी कीमत में चार से पांच रुपए प्रति किलो तक की कमी आ सकती है।
मौजूदा टैरिफ और फॉरेन करेंसी के एक्सचेंज रेट के हिसाब से क्रूड सोया ऑयल के दाम में 67.54 डॉलर (4991.20 रुपए) प्रति टन की कमी आ सकती है। इसी तरह, क्रूड पाम ऑयल का दाम 56.59 डॉलर यानी 4182.18 रुपए प्रति टन घट सकता है। रिफाइंड पाम ऑयल 58.52 डॉलर यानी 4334.62 रुपए प्रति टन सस्ता हो सकता है।
क्रूड पाम ऑयल, क्रूड सोया ऑयल और क्रूड सनफ्लावर ऑयल, तीनों पर लगने वाले बेस इंपोर्ट टैक्स को घटाकर 2.5% कर दिया गया है। पहले क्रूड पाम ऑयल पर 10% जबकि क्रूड सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर 7.5% का बेस आयात शुल्क लगता था। अब रिफाइंड ग्रेड के पाम ऑयल, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर लगने वाली बेस इंपोर्ट ड्यूटी 37.5% से घटकर 32.5% रह गई है।
रसोई तेलों के आयात शुल्क में कटौती के बाद क्रूड पाम ऑयल, सोयाऑयल और सनफ्लावर ऑयल के इंपोर्ट पर कुल 24.75% का टैक्स लगेगा। इसमें ढाई पर्सेंट की बेस इंपोर्ट ड्यूटी और दूसरे टैक्स शामिल होंगे। इसी तरह रिफाइंड पाम ऑयल, सोयाऑयल और सनफ्लावर ऑयल के आयात पर कुल 35.75% का टैक्स लगेगा। रसोई तेलों के आयात पर टैक्स घटाए जाने से दाम में कमी आ सकती है और खपत को बढ़ावा मिल सकता है।
भारत रसोई तेलों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक है और यहां उनकी कीमत रिकॉर्ड हाई लेवल के पास चल रही है। देश में रसोई तेलों की दो तिहाई जरूरत आयात से पूरी की जाती है। पिछले कुछ महीनों में यहां इन तेलों की कीमतों में तेज उछाल आया है। पाम ऑयल खासतौर पर इंडोनेशिया और मलेशिया से मंगाया जाता है। सोया और सनफ्लावर ऑयल अर्जेंटीना, ब्राजील, उक्रेन और रूस से आता है।