अमेरिका के ही हथियारों से अमेरिका से लड़ रहा है तालिबान, नए किस्म के हथियारों से लैस हैं तालिबान लड़ाके

मुंबई- फोर्ब्स के आकलन के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में 8,84,311 आधुनिक सैन्य उपकरण छोड़ आया है। इनमें M16 रायफल, M4 कार्बाइन, 82 mm मोर्टार लॉन्चर जैसे इंफेंट्री हथियारों के साथ humvee जैसे सैन्य वाहन, ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर, A29 लड़ाकू विमान, नाइट विजन, कम्युनिकेशन और सर्विलांस में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं। 

2003 के बाद से यह सैनिक साजो-सामान अफगान सेना और पुलिस के लिए खरीदे गए थे। फोर्ब्स ने यह आंकड़ा अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के डिपार्टमेंट लॉजिस्टिक्स एजेंसी (DLA) के डेटाबेस को स्टडी कर इकट्‌ठा किया है। तालिबान के खिलाफ आतंकियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले अमेरिका ने 2003 के बाद से अफगान सेना और पुलिस को हथियार और ट्रेनिंग पर 83 अरब डॉलर, यानी 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए। अफगानिस्तान में छूटे सैनिक साजो सामान में 5.99 लाख से ज्यादा खालिस हथियार, 76 हजार से ज्यादा सैन्य वाहन और 208 सैन्य विमान शामिल हैं। 

विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से ज्यादा हथियार अफगान फौज के घुटने टेकने और सरकार ढहने के बाद तालिबान के हाथ लग चुके हैं। हथियारों की इतनी तादाद एक मजबूत फौज खड़ी करने के लिए पर्याप्त है। खास बात यह है कि जो बाइडन का प्रशासन अफगानिस्तान के लिए खरीदे गए हथियार और सैन्य उपकरणों की ऑडिट रिपोर्ट्स को छुपा रहा है।  

तालिबान ने पिछले ही दिनों अमेरिका के दिए ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर और ए-29 सुपर टूकानो हमलावर विमान अपने कब्जे में ले लिया। अफगान रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने अमेरिका से पहुंचे सात नए हेलिकॉप्टरों के फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए थे। एक ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर की कीमत 150 से लेकर 270 करोड़ रुपए तक हो सकती है। 

अमेरिकी लड़ाकू विमानों को लेकर विशेषज्ञों की दो राय हैं। पहली-तालिबान इन विमानों का इस्तेमाल नहीं जानता है, लेकिन इसके कलपुर्जों को काफी महंगे दामों में बेच सकता है। अफगान सेना को दिए गए कुछ विमानों का फ्यूल टैंक ही 35 हजार डॉलर, यानी करीब 25 लाख रुपए में बेचा जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान अफगान सेना के ट्रेंड पायलटों को खुद से जोड़कर या पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर इन विमानों का इस्तेमाल कर सकता है। PC-12 टोही और निगरानी विमान नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इन विमानों का तालिबान के कब्जे में आना बेहद चिंताजनक है। 

2017 में अमेरिकी सेना को 1250 करोड़ रुपए के स्कैन ईगल ड्रोन गंवाने पड़े। ये ड्रोन अफगान नेशनल आर्मी को अपनी रक्षा के लिए दिए गए थे। अफगान सेना ने इनका फौरन इस्तेमाल तो नहीं किया, लेकिन कुछ महीनों बाद पता चला कि अफगान सेना को दिए गए ड्रोन लापता हैं। स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रीकन्स्ट्रक्शन (SIGAR) की यह ऑडिट रिपोर्ट भी उसकी वेबसाइट से हटा ली गई है। 

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