भारतीय कंपनियों की सीधी लिस्टिंग विदेशी बाजारों में हो सकेगी, बजट में आ सकता है नियम
मुंबई- विदेशी बाजारों में भारतीय कंपनियों की सीधी लिस्टिंग हो सकती है। इस पर बजट में नियम आ सकता है। रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज ने कहा कि भारत सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि ऐसा होने पर भारतीय स्टार्टअप सीधे तौर पर ग्लोबल आईपीओ बूम का फायदा उठा सकेंगे।
तरुण बजाज ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप के सीधे विदेशी प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होने की प्रक्रिया में कुछ जटिलताएं हैं, जिनको सुलझाना जरूरी है। इससे पहले इसी महीने भारत के कुछ जाने माने स्टार्टअप फाउंडरों और निवेशकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखा था। उन्होने कहा था कि भारतीय स्टार्टअप को विदेशी बाजारों में सीधे लिस्ट होने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह एक ऐसी योजना है जिस पर कई सालों से चर्चा हो रही है। लेकिन अभी तक इस पर कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया है। हाल ही में इस तरह की मांग फिर जोर पकड़ रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय को जिन कंपनियों ने चिट्ठी भेजी है, उसमें स्विगी, अर्बन कंपनी, क्रेड, इंफ्रा मार्केट, बायजू, अनअकादमी, सिकोइया कैपिटल आदि हैं। इन्होंने कहा कि अगर स्टार्टअप को सीधे विदेशी लिस्टिंग की मंजूरी मिल जाती है तो यह देश में स्टार्टअप ईको सिस्टम के लिए बहुत बड़ा सुधार होगा। इससे भारतीय कंपनियों को तुरंत ग्लोबल नक्शे पर पहचान मिल जाएगी।
सितंबर 2020 में सरकार ने डायरेक्ट विदेशी लिस्टिंग की तरफ की कदम उठाते हुए कंपनी एक्ट 2013 में एक संशोधन किया था। फिर उसके बाद इसी साल फरवरी में विदेशों में लिस्टेड कंपनियों को तमाम नियमों में छूट दी गई थी। हालांकि अभी भी इस दिशा में और कदम उठाए जाने की जरूरत है।
वर्तमान में भारतीय कंपनियां अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट और ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट(GDR) जारी करके विदेशी बाजारों में लिस्ट हो सकती हैं। एडीआर और जीडीआर एक प्रॉक्सी शेयर होते हैं जो कंपनी के शेयरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन वास्तविक शेयरों की तुलना में इनमें लिक्विडिटी कम होती है। इनका वैल्यूएशन और निवेशकों में इनका आकर्षण वास्तविक शेयरों की तुलना में कम होता है।