वोडाफोन आइडिया हो सकती हैं बंद, बिरला और वोडाफोन ने हाथ खड़े किए, शेयर 20 पर्सेंट टूटा

मुंबई- देश में टेलीकॉम सेक्टर में अब दो ही कंपनियों का एकाधिकार होगा। जियो और एयरटेल देश में रह सकती हैं। वोडाफोन आइडिया बंद हो सकती हैं। वोडाफोन आइडिया की पार्टनर वोडाफोन ने कह दिया है कि वह अब कोई पैसे कंपनी में नहीं डालेगी। दूसरी पार्टनर बिरला ग्रुप ने अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है। इसका शेयर बुधवार को 20 पर्सेंट टूट कर 5.94 रुपए पर चला गया। मार्केट कैप 17 हजार करोड़ रुपए रह गया है। 

अगस्त 2018 में दोनों कंपनियों के मिलने के बाद इसका शेयर 33 रुपए था जो अब 7.40 रुपए पर है। यानी 78% की इसमें गिरावट आई है। सरकार आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला की पेशकश पर किसी भी तरह का प्लान नहीं बनाया है। हालांकि सरकार टेलीकॉम को राहत पैकेज देने पर विचार कर रही है। बिरला ने सरकार को भेजे पत्र में अपील की है कि वह वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी किसी भी सरकारी कंपनी या घरेलू कंपनियों को देने को तैयार हैं।  

वोडाफोन आइडिया में बिरला की कम हिस्सेदारी है। ऐसे में अगर सरकार इसमें बिरला की हिस्सेदारी लेती भी है तो वह माइनॉरिटी शेयरहोल्डर होगी, जबकि वोडाफोन मेजॉरिटी शेयर होल्डर होगी। कंपनी में बिरला की 27.66% और वोडाफोन की 44.39% हिस्सेदारी है।  

सरकार ने पहले ही सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के लिए 70 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। इसलिए सरकार अब टेलीकॉम सेक्टर में कोई पैसा खर्च नहीं करना चाहती है। वोडाफोन के CEO निक रीड ने कहा कि भारत में टेलीकॉम सेक्टर तनावपूर्ण स्थिति में है। कंपनी इस ज्वाइंट वेंचर में अब कोई भी पैसा नहीं डालना चाहती है।  

वोडाफोन आइडिया अगस्त 2018 में एक में मिली थीं। किसी भी तिमाही में इस कंपनी ने फायदा नहीं कमाया है। इनके ग्राहकों में लगातार कमी भी होती रही है। इन पर 1.80 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी को जनवरी मार्च तिमाही में 6,985 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। टेलीकॉम सेक्टर में साल 2018 से पहले चार कंपनियां प्रमुख थीं।  

रिलायंस जियो 2016 में आई। उससे पहले वोडाफोन, आइडिया और एयरटेल प्रमुख कंपनियां थीं। 2016 में जियो के आने के बाद बाजार में कब्जा जमाने की होड़ में आइडिया और वोडाफोन दोनों ने 31 अगस्त 2018 को हाथ मिला लिया। वोडाफोन उस समय तीसरे नंबर की टेलीकॉम कंपनी थी जबकि आइडिया दूसरे नंबर की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी।  

एयरटेल पर 43,980 करोड़ रुपए का AGR बकाया है। इसमें से इसने 18,004 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। वोडाफोन पर 58,254 करोड़ रुपए की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की देनदारी है। इसमें से इसने 7,800 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। मार्च 2022 तक इसे 9,000 करोड़ रुपए और देना है। अप्रैल 2020 में वोडाफोन ने कंपनी ने 1,530 करोड़ रुपए डाला था। टाटा टेली सर्विसेस पर 16,798 करोड़ रुपए का AGR बकाया है। उसने 4,197 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। 

वोडाफोन आइडिया डूबती है तो इसका सबसे बड़ा असर सरकारी बैंकों पर होगा। इस पर जो 1.80 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, उसमें सरकारी बैंकों का ज्यादा हिस्सा है। वोडाफोन आइडिया को सबसे ज्यादा कर्ज देने वाले बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) है। इसने 11,200 करोड़ रुपए का लोन दिया है। पंजाब नेशनल बैंक ने 1 हजार करोड़ दिया है। HDFC बैंक ने 5 हजार करोड़ रुपए, ICICI बैंक ने 1,700 करोड़ रुपए का लोन दिया है।  

इसके अलावा यस बैंक, IDBI बैंक और इंडसइंड बैंक का भी लोन है। बैंकिंग सेक्टर का कुल लोन टेलीकॉम सेक्टर में 1.1 लाख करोड़ रुपए है। इसमें HDFC बैंक का लोन 24,515 करोड़ रुपए, एक्सिस बैंक का 17,135 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा का 11,471 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 7,318 करोड़ रुपए है। 

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