सलाहकार सिर्फ सलाह दें, निवेशकों के फंड को मैनेज न करें- सेबी

मुंबई– मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने कहा है कि एक निवेश सलाहकार अपने ग्राहकों को सिर्फ सलाह दे सकता है। उनके फंड या शेयर्स में उनके निवेश को मैनेज नहीं कर सकता। निवेश सलाहकारों को इस मकसद से अपने ग्राहकों से पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं मांगनी चाहिए। 

सेबी ने एक इनवेस्टमेंट एडवाइज़र फर्म की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। सेबी का कहना है कि निवेश सलाहकारों का काम सिर्फ अपने ग्राहकों को निवेश के बारे में सलाह देना है, उनकी तरफ से निवेश करना नहीं। दरअसल वॉटरफील्ड फाइनेंशियल एंड इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स ने सेबी से निवेश सलाहकारों से जुड़े नियमों के बारे में गाइडेंस मांगा था। इनवेस्टमेंट एडवाइजर फर्म ने पूछा था कि क्या उसके ग्राहक अपनी मर्जी से वॉटरफील्ड को पावर ऑफ अटॉर्नी दे सकते हैं, ताकि वह उनकी तरफ से उनके खातों के बारे में कस्टोडियम से इंक्वायरी कर सकें।  

वॉटरफील्ड ने यह भी पूछा था कि क्या वे एक बार अपने ग्राहकों से पावर ऑफ अटॉर्नी और लिखित अनुमति और निर्देश हासिल करने के बाद हमेशा के लिए उनकी तरफ से उनके खातों के कस्टोडियन से संपर्क करके उनके निवेश के फैसलों और इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के बारे में सूचनाएं हासिल कर सकते हैं? वॉटरफील्ड ने पूछा था कि क्या उसकी तरफ से ऐसी सेवाएं दिए जाने को इनवेस्टमेंट एडवाइज़र से जुड़े नियमों के तहत “इंप्लीमेंटेशन सर्विसेज़” माना जाएगा या नहीं? 

सेबी ने इस सवाल के जवाब में स्थिति साफ करते हुए कहा कि एक निवेश सलाहकार का काम अपने ग्राहकों को सिर्फ निवेश के बारे में सलाह देना है, उनके फंड या सिक्योरिटीज़ को मैनेज करना नहीं। सेबी ने कहा कि इनवेस्टमेंट एडवाइज़र्स से जुड़े नियमों के तहत किसी निवेश सलाहकार के लिए अपने ग्राहक से पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल करना अपेक्षित नहीं है और न ही ऐसा किया जाना चाहिए। हालांकि इसके साथ ही सेबी ने अपने स्पष्टीकरण में यह भी कहा है कि उसका यह जवाब सवाल के साथ दी गई जानकारी पर आधारित है और अलग तथ्यों या परिस्थितियों में नियमों की व्याख्या अलग तरह से भी की जा सकती है।  

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