महंगाई चरम पर, आटा की कीमत 44 से 57 रुपए, दूध और चाय के साथ नमक की कीमत भी बढ़ी
मुंबई– कोरोना महामारी के साथ नमक, चाय, तेल, दूध समेत अन्य रोजमर्रा की चीजों के दाम 25% तक बढ़ा गए। थोक महंगाई अब तक के रिकॉर्ड स्तर और रिटेल महंगाई 2021 के ऊंचाई पर है।
एक लीटर सरसों का तेल 23 जून को 212 रुपए तक बिका, जो पिछले साल इसी तारीख को अधिकतम 170 रुपए की कीमत पर बिक रहा था। रोजमर्रा के आइटम देखें तो इसमें सरसों का तेल सबसे ज्यादा महंगा हुआ है। इसके बाद अरहर दाल, चाय, आटे और नमक का नंबर आता है। एक्सपर्ट की मानें तो हमें अगस्त तक ही महंगाई से छुटकारा मिल पाएगा।
सरसों का तेल सालभर पहले 90-170 रुपए प्रति लीटर पर बिक रहा था, जो अब महंगा होकर 117-212 रुपए प्रति लीटर पर बिक रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के चलते तेल मिलें बंद रहीं और विदेश से खाने के तेल का इम्पोर्ट भी घटा है।
अरहर दालपिछले साल 23 जून को 65-125 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर बिकी थी, लेकिन फ्यूल ऑयल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से अब एक किलो दाल 75-130 रुपए पर बिक रही है। नमक का इस्तेमाल लगभग सभी भारतीय व्यंजन में होता है, लेकिन कोरोना के चलते सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। नतीजतन, एक किलो नमक का भाव 28 रुपए तक पहुंच गया है, जो सालभर पहले 25 रुपए प्रति किलो पर बिका था।
एक किलो गेहूं का आटा23 जून को 20 से 57 रुपए के भाव पर बिका, जो सालभर पहले 17 से 45 रुपए पर बिक रहा था। महामारी की वजह से मिलों में काम करने वाले मजदूर कम रहे और मिलों में गेहूं की आवक घटी, जिससे डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पाई। नतीजतन, इसके भाव भी बढ़े।
कोरोना महामारी और मौसम अनुकूल न रहने से असम में चाय का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके चलते भाव में सालाना आधार पर 25% बढ़ोतरी देखने को मिली है। इससे एक किलो चाय का भाव 128 से 530 रुपए हो गया, जो पिछले साल 23 जून को 120-450 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रही थी।
रोजमर्रा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम की कीमतें बढ़ने की दो मुख्य वजहें हैं, मालभाड़ा महंगा हुआ है और महामारी से सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है। इससे मंडियों में आवक भी कम हुई। आम लोगों को दूसरी तिमाही तक राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इस बार मानसून अच्छा रहने वाला है।