जिन ब्रोकरेज हाउस के खुद के बैंक हों, उसी में खोलें डिमैट अकाउंट, ब्याज भी मिलेगा, आसानी भी रहेगी
मुंबई– अगर आप शेयर बाजार में कारोबार करते हैं यानी शेयरों को खरीदते बेचते हैं तो आपको अपना ट्रेडिंग और डिमैट अकाउंट खोलते समय सावधान रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप उन्हीं ब्रोकरेज हाउसों के पास डिमैट अकाउंट खोलें जिनकी बैंकिंग सेवाएं भी हों। इससे आपको कई फायदे हो सकते हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (MD CEO) धीरज रेली कहते हैं कि जिन ब्रोकरेज हाउसों के पास बैंकिंग सुविधा है, या उनकी पैरेंट कंपनी के पास बैंकिंग है तो उनमें निवेशकों को डिमैट अकाउंट खोलने के कई सारे लाभ हैं। एक तो फंड को रखने और उसे रिलीज करने की सुविधा होती है। दूसरा आपका पैसा अगर बैंक में है तो उस पर आपको ब्याज भी मिलता है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के पास खुद बैंक है जो एचडीएफसी बैंक के रूप में है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के पास भी बैंक है। आईसीआईसीआई बैंक इसी ग्रुप का है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि ज्यादातर निवेशक उन ब्रोकरेज हाउसों को पसंद करते हैं जिनकी खुद की बैंकिंग सेवाएं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह के ब्रोकरेज हाउसों का विश्वास का लेवल काफी ज्यादा रहता है। साथ ही कुछ मामलों में इस तरह के निवेशकों का इन्हीं बैंकों के साथ रिश्ता भी रहता है जिससे उन्हें आसानी होती है।
कई सारे ब्रोकरेज हाउस जैसे एक्सिस, कोटक के पास भी बैंकिंग सुविधा हैं। इसके अलावा जिरोधा, अपस्टॉक्स, मोतीलाल ओसवाल जैसे ब्रोकरेज हाउस हैं जिन्हें बैंकों ने प्रमोट नहीं किया है। बाजार के जानकार मानते हैं कि इस समय कुछ ब्रोकरेज हाउसों ने टेक्नोलॉजी या कम ब्रोकरेज के कारण निवेशकों को खींचा जरूर है, पर इसमें निवेशकों का घाटा है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आपका डिमैट अकाउंट आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, एक्सिस बैंक या एचडीएफसी सिक्योरिटीज में है तो आपको इन सिक्योरिटीज के पास पैसे रखने की जरूरत नहीं होती है। इन ब्रोकरेज हाउसों के जो प्रमोटेड बैंक हैं, उसमें आपके जो सेविंग अकाउंट हैं, उसी में पैसे रहेंगे। इस पैसे पर ब्याज भी मिलता रहेगा। फिर जब आपको शेयर खरीदना हो तो आप शेयर खरीद सकते हैं और तब पैसा अकाउंट से कटेगा।
पर अगर आपका डिमैट अकाउंट जिरोधा में है या किसी और ब्रोकरेज हाउस के पास है, जिनकी खुद की बैंकिंग नहीं है तो आपको किसी बैंक से इनके खाते में पैसा ट्रांसफर करना होगा। इसके बाद आप शेयर खरीद पाएंगे। ऐसे में अगर आपने शेयर नहीं खरीदा और पैसा इन्हीं के पास रहा तो आपको ब्याज भी नहीं मिलेगा। यहां तक कि कुछ मामलों में इनके डिमैट अकाउंट से पैसे ट्रांसफर करने में भी परेशानी होती है।
इस समय फोन पे भी ब्रोकिंग बिजनेस शुरू करने की योजना बना रहा है। वह सेबी से लाइसेंस का इंतजार कर रहा है। डिजिटल पेमेंट में भारत में यह दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। वह कोशिश कर रहा है कि उसके पास जो ग्राहक पहले से बने हैं, उन्हें शेयर बाजार में लाए। मार्च में इसने यूपीआई से 1.19 अरब लेन देन को प्रोसेस किया था। इसकी कुल रकम 2.31 लाख करोड़ रुपए थी। यूपीआई बाजार में इसकी हिस्सेदारी 44 पर्सेंट है। गूगल पे ने 95 करोड़ लेन देन प्रोसेस किया था और उसकी हिस्सेदारी 35 पर्सेंट है।
फोन पे अब पूरी तरह से एक विविधीकृत वित्तीय सेवा देने वाला प्लेटफॉर्म बन रहा है। इसने म्यूचुअल फंड में भी कारोबार शुरू किया है। यह आने वाले समय में निवेश और मर्चेंट सेवा भी देने की योजना बना रहा है। फोन पे की टक्कर पेटीएम से है जो पहले से ही सेबी से स्टॉक ब्रोकिंग के लिए मंजूरी पा चुका है। इसने कुछ निवेश उत्पाद भी लांच कर दिया है। पेटीएम 10 रुपए के चार्ज पर ट्रेडिंग की सुविधा देता है।
ब्रोकिंग हाउस में पहले से ही फिनटेक कंपनियां आई हैं। इसमें जिरोधा और अपस्टॉक्स जैसे ब्रोकर हाउस इस समय टॉप पर हैं। ये निवेशकों को डिस्काउंट ब्रोकरेज की सेवा देते हैं। भारत का रिटेल निवेश का बाजार अभी भी विकसित नहीं हो पाया है। अभी भी 2 करोड़ भारतीय हैं जो पहली बार निवेशक बन सकते हैं।