निफ्टी-50 कंपनियों के 5 पर्सेंट इंडीपेंडेंट डायरेक्टर्स की उम्र 50 साल से कम

मुंबई- निफ्टी-50 कंपनियों में केवल 5 पर्सेंट ही इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स (स्वतंत्र निदेशक) ऐेसे हैं, जिनकी उम्र 50 साल से कम है। कुल 279 इंडीपेंडेंट डायरेक्टर्स हैं। इसमें से ऐसे 14 डायरेक्टर्स हैं जो 50 साल से कम उम्र के हैं।  

सेबी के पूर्व चेयरमैन एम. दामोदरन की कॉर्पोरेट गवर्नेंस थिंक टैंक एक्सिलेंस एनेबेलर्स की ओर से एक स्टडी में इस तरह की जानकारी आई है। इस स्टडी के मुताबिक, भारत की टॉप 50 लिस्टेड कंपनियों में युवा प्रोफेशनलों की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप 50 कंपनी के आधार पर निफ्टी इंडेक्स बना है। इसमें से ज्यादातर कंपनियों में स्वतंत्र निदेशक 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं।  

रिपोर्ट के अनुसार, 19 इंडीपेंडेंट डायरेक्टर्स ऐसे हैं जिनकी उम्र 76 वर्ष या उससे अधिक है। सबसे कम उम्र के डायरेक्टर 43 साल के हैं और सबसे उम्रदराज डायरेक्टर 92 साल के हैं। अब जबकि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की जिम्मेदारियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है ऐसे में बोर्ड कमेटी का भी महत्व काफी बढ़ गया है।  

31 मार्च, 2020 तक 40 इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स किसी बोर्ड कमिटी के सदस्य नहीं थे। 45 डायरेक्टर्स ऐसे थे जो सभी बोर्ड कमिटी के सदस्य थे। रिपोर्ट कहती है कि एक बार किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए किसी कंपनी के अकाउंट्स को अंतिम रूप दे दिया जाता है, तो वार्षिक आम बैठक (एजीएम) जल्दी होनी चाहिए। पर ऐसा नहीं होता है। 

किसी भी लिस्टेड कंपनी के लिए किसी तिमाही में 45 दिन के अंदर रिजल्ट जारी करना होता है। लेकिन ऐसा देखा गया है कि तय समय में काफी कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं। 2 सरकारी कंपनियां इस नियम का पालन करने में विफल रही हैं। जबकि 37 गैर सरकारी कंपनियां भी इसमें नियमों का पालन नहीं कर पाई हैं। 8 ऐसी निजी कंपनियां रही हैं, जो एजीएम की मीटिंग बुलाने में 100 दिन से ज्यादा समय ले लीं।   

वित्त वर्ष 2019-20 में 50 कंपनियों में से केवल 7 कंपनियों ने शेयरधारकों की संतुष्टि (shareholder satisfaction) का सर्वेक्षण किया। वित्त वर्ष 2017-18 में ऐसी केवल 5 कंपनियां थीं। एम. दामोदरन का कहना है कि ऐसी कंपनियों को अभी काफी लंबा रास्ता तय करना है।  

हालांकि इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स पर अब ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और यह काफी हद तक सही भी है। ऐसा इसलिए भी है कि बीते दिनों में ऐसे ज्यादा इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने इस्तीफे भी दिए हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में 56% इंडिपेंडेट डायरेक्टर्स ने इसलिए इस्तीफे दिए क्योंकि वे किसी दूसरे पेशे में व्यस्त थे। 17 पर्सेंट डायरेक्टर्स ने इसलिए इस्तीफआ दिया क्योंकि उनका अपना कोई व्यक्तिगत कारण था। 17 पर्सेंट ने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि उम्र ज्यादा थी।  

एम. दामोदरन कहते हैं कि यह विचार करना काफी दिलचस्प है कि 56% डायरेक्टर्स ने जो व्यस्त होने का हवाला देकर इस्तीफा दिया, वे किस काम में व्यस्थ थे। इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। अगर वे व्यस्त थे तो उन्होंने फिर बोर्ड में पोजिशन क्यों स्वीकार किया।  

रिपोर्ट कहती है कि उत्तराधिकार योजना (Succession planning) कंपनियों की आज की तारीख में सबसे बड़ी जरूरत है। क्योंकि महत्वपूर्ण पदों में वैकेंसी किसी भी समय हो सकती है। 50 कंपनियों में से 27 कंपनियों ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बोर्ड के पदों के संबंध में उत्तराधिकार योजना का खुलासा किया है।  

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