बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक होंगे प्राइवेट
मुंबई– सरकार ने 4 सरकारी बैंकों को निजी बैंक बनाने के लिए चुन लिया है। इसमें से 3 बैंक छोटे हैं। एक बड़ा बैंक है। तीन छोटे बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक हैं। जबकि बड़े बैंक में बैंक ऑफ इंडिया है। प्राइवेट की इस प्रक्रिया को शुरू होने में 5-6 महीने लगेंगे।
बता दें कि सरकार ने बजट में दो बैंकों में हिस्सा बेचने की बात कही थी। लेकिन मोदी सरकार देश में कुछ बड़े सरकारी बैंक को ही चलाने के पक्ष में है। देश में बड़े सरकारी बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा और कैनरा बैंक हैं। कुल 23 सरकारी बैंकों में से कई बैंकों को बड़े बैंकों में मिला दिया गया है। इसमें देना बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, अलाहाबाद बैंक, सिंडीकेट बैंक आदि हैं।
हालांकि सरकारी बैंकों को निजी बैंक बनाने में हमेशा राजनीतिक दल इससे बचते रहे हैं। क्योंकि इसमें लाखों कर्मचारियों की नौकरियों का भी खतरा रहता है। हालांकि सरकार यह पहले ही कह चुकी है कि बैंकों को कम करने या निजी करने की स्थिति में कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, इसमें से दो सरकारी बैंकों को 2021-22 के वित्त वर्ष यानी अप्रैल से प्राइवेट बैंक बनाया जाएगा। जबकि बाकी के दो बैकों को आगे समय आने पर देखा जाएगा। सरकार पहले चरण में मिड साइज वाले बैंकों को प्राइवेट बनाएगी। यानी वह इसके कारोबार से निकल जाएगी। आने वाले सालों में सरकार देश में कुछ ही बड़े बैंकों को रखेगी।
हालांकि सरकार बड़े बैंकों में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी रखेगी, ताकि उसका नियंत्रण उस पर बना रहे। सरकार इस समय कोरोना के बाद काफी बड़े पैमाने पर सुधार करने की योजना बना रही है। सरकार इन बैंकों को बुरे फंसे कर्ज से भी पार करना चाहती है। अगले वित्त वर्ष में इन बैंकों में 20 हजार करोड़ रुपए डाले जाएंगे ताकि ये बैंक रेगुलेटर के नियमों को पूरा कर सकें।
बैंक ऑफ इंडिया के पास 50 हजार कर्मचारी हैं जबकि सेंट्रल बैंक में 33 हजार कर्मचारी हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक में 26 हजार और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13 हजार कर्मचारी हैं। इस तरह कुल मिलाकर एक लाख से ज्यादा कर्मचारी इन चारों बैंकों में हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र में कम कर्मचारी हैं, इसलिए इसे प्राइवेट बनाने में आसानी है।