अप्रैल से आपके जमा पैसे पर मिल सकता है ज्यादा फायदा, लेकिन लोन लेने पर देना होगा ज्यादा ब्याज
मुंबई– अप्रैल से बैंकों में पड़े आपके फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर ज्यादा ब्याज मिल सकता है। हालांकि अगर आप बैंक से लोन लेते हैं तो आपको ज्यादा ब्याज भरना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक दरों को बढ़ाने की योजना बना रहा है। जब रिजर्व बैंक ब्याज बढ़ाएगा तो बैंक डिपॉडिट और लोन दोनों पर ब्याज दरें बढ़ा देंगे। दरों को इसलिए बढ़ाया जाएगा क्योंकि महंगाई को काबू में करना है।
विश्लेषकों के मुताबिक, महंगाई नियंत्रण में नहीं आती है तो रिजर्व बैंक दरों को बढ़ा सकता है। नए वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल के पहले हफ्ते में शुरू होगी। पिछली दो तिमाहियों में महंगाई की दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ज्यादा रही है। रिजर्व बैंक का लक्ष्य 2-6 पर्सेंट के बीच का है। जनवरी-मार्च के दौरान अगर यह लक्ष्य से ज्यादा रहती है तो रिजर्व बैंक दरों को बढ़ाकर इसे काबू में रखने की कोशिश करेगा।
विश्लेषकों के अनुसार, रिजर्व बैंक महंगाई की दरों में किसी भी तरह से कमी लाने की योजना बना रहा है। हालांकि उसके लक्ष्य से ज्यादा ही महंगाई दर रह रही है। महंगाई की दर पिछली दो तिमाहियों यानी सितंबर और दिसंबर की तिमाही में 6% से ज्यादा रही है।
रिजर्व बैंक को सरकार को लिखित रूप से यह बताना होगा कि आखिर उसकी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी द्वारा तय किया गया महंगाई का लक्ष्य कैसे ज्यादा रहा है और रिजर्व बैंक इसमें क्यों फेल रहा है। रिजर्व बैंक को सुधार की कार्रवाई (remedial action) का सुझाव भी देने की जरूरत होगी। हालांकि रिजर्व बैंक के सामने एक मुश्किल यह भी है कि अगर वह सुधार के लिए किसी भी दर को बढ़ाता है तो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में एक नए रिस्क को गले लगाने जैसा होगा।
कानूनन आरबीआई को यह भी बताना होगा कि वह कोई सुधार करता है तो महंगाई के लक्ष्य को नियंत्रण में लाने के लिए एक तय समय भी बताए। आरबीआई ने ग्रोथ बढ़ाने के लिए लगातार पिछली 4 मीटिंग में दरों को जस का तस रखा है। इसी दौरान उसने कोरोना का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त लिक्विडिटी देने की योजना की भी अलग से घोषणा की। दूसरी ओर सरकार ने दालों, खाद्य तेल और तिलहन जैसी वस्तुओं पर कस्टम शुल्क में कटौती की है ताकि कीमतों के कुछ दबावों को कम करने में मदद मिल सके।

