स्वास्थ्य बजट को दोगुना कर सकती है सरकार
कोरोना महामारी ने भारत के हेल्थ सेक्टर की बहुत सी खामियों को उजागर किया है। इस दौरान बेड, डॉक्टर्स और मेडिकल इक्विपमेंट्स की कमी से जूझना पड़ा। इसलिए उम्मीद है कि इन खामियों को दूर करने के लिए सरकार हेल्थ बजट को दोगुना करेगी। इसके अलावा हेल्थ सेस बढ़ाने की भी चर्चा है। सबसे पहले देखते हैं कि बजट में आम लोगों के मतलब की कौन सी घोषणाएं हो सकती हैं।
अभी कम कमाई वालों के स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) चल रही है। इसमें मध्य वर्ग को भी शामिल किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा लोग हेल्थ इंश्योरेंस कराएं, इसके लिए सेक्शन 80D के तहत छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अभी पति-पत्नी और बच्चों के लिए इसकी सीमा 25,000 रुपए है। माता-पिता अगर सीनियर सिटीजन हैं तो उनके लिए 50,000 रुपए तक की छूट है।
कोरोना के समय स्वास्थ्य कर्मियों की कमी भी देखने को मिली। इसे दूर करने के लिए अलग से बजट आवंटित किया जा सकता है। दवा, मेडिकल डिवाइस और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी खत्म करने की भी मांग है।
मौजूदा वित्त वर्ष में स्वास्थ्य बजट 67,484 करोड़ रुपए का था। इसे 1.2-1.3 लाख करोड़ रुपए किया जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हेल्थकेयर खर्च को जीडीपी के 4% तक ले जाने के उद्देश्य से चार साल की योजना भी पेश कर सकती हैं। हेल्थ पर खर्च बढ़ाने के लिए हेल्थकेयर सेस बढ़ाया जा सकता है। अभी यह सेस इनकम टैक्स का 1% है।
हेल्थ बजट बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण कोरोना का वैक्सीनेशन है। रेटिंग एजेंसी ICRA का अनुमान है कि वैक्सीन के एक डोज की कीमत 200 रुपए है, सभी को दो डोज लगने हैं, यानी प्रति व्यक्ति इसका खर्च 400 रुपए आएगा। अगर देश की 50 फीसदी आबादी का भी वैक्सीनेशन हुआ तो इसका सरकारी खर्च लगभग 27 हजार करोड़ रुपए आएगा।