12 करोड़ की नौकरी गई, पर अमीरों की संपत्ति अच्छी बढ़ी

मुंबई– पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देश के सबसे बड़े 100 अमीरों की संपत्ति 35% बढ़ गई। रकम के लिहाज से देखें तो इसमें 13 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। NGO ऑक्सफैम (Oxfam) की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। इसका दूसरा पक्ष यह है कि कोरोना महामारी के कारण पिछले साल 12 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी छिन गई थी।

‘द इनइक्वलिटी वायरस’ नाम की रिपोर्ट के अनुसार महामारी ने भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में असमानता को बढ़ाया है। दुनिया के सबसे बड़े 1,000 अरबपतियों की स्थिति तो नौ महीने में ही सुधर गई, लेकिन गरीबों को कोरोना से पहले जैसी स्थिति में आने में एक दशक से ज्यादा समय लग जाएगा। ऑक्सफैम दावोस सम्मेलन से पहले यह रिपोर्ट जारी करता है।

भारत के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी ही नहीं, कुमार मंगलम बिड़ला, गौतम अडानी, अजीम प्रेमजी, सुनील मित्तल, शिव नाडर और लक्ष्मी मित्तल जैसे उद्योगपतियों की संपत्ति भी इस दौरान तेजी से बढ़ी है। देश के सबसे बड़े 100 अरबपतियों की संपत्ति में मार्च 2020 के बाद से लगभग 13 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। यह रकम देश के रक्षा बजट का लगभग चार गुना है। अगर ये पैसा 14 करोड़ गरीबों में बांटा जाए तो हर किसी के हिस्से में 94,045 रुपए आएंगे।

महामारी के दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने जितना पैसा 1 घंटे में कमाया, उतना पैसा कमाने में किसी अन-स्किल्ड वर्कर को 10 हजार साल लग जाएंगे। मार्च 2020 में मुकेश अंबानी की संपत्ति 2.7 लाख करोड़ रुपए थी। अक्टूबर के शुरू में यह दोगुनी से ज्यादा बढ़कर 5.7 लाख करोड़ रुपए हो गई। 6 महीने में उनकी संपत्ति में तीन लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ। यानी उनकी संपत्ति हर महीने 50,000 करोड़ रुपए, हर दिन 1,667 करोड़ रुपए और हर घंटे 69 करोड़ रुपए बढ़ी। दूसरी तरफ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी 178 रुपए है। उन्हें 69 करोड़ रुपए कमाने में 10,000 साल से ज्यादा लगेंगे।

एक तरफ तो अमीर, ज्यादा अमीर हो गए, दूसरी ओर अप्रैल में हर घंटे 1.7 लाख लोगों की नौकरी चली गई। रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के कारण 12.2 करोड़ कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसमें 75% लोग यानी करीब 9.2 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र के हैं। इसके अलावा, भुखमरी, आत्महत्या, सड़क और रेल दुर्घटनाओं, पुलिस क्रूरता और समय पर इलाज न मिलने से असंगठित क्षेत्र के 300 से अधिक वर्कर्स की मृत्यु हो गई। ऑक्सफैम के अनुसार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अप्रैल 2020 तक मानवाधिकारों उल्लंघन के 2,582 मामले दर्ज किए थे।

रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के दौर में भारत के 11 शीर्ष अरबपतियों की संपत्ति में जितनी वृद्धि हुई है, उतने पैसों से 10 साल के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) या 10 सालों तक स्वास्थ्य मंत्रालय का खर्च चलाया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में 18 मार्च से 31 दिसंबर 2020 तक अरबपतियों की संपत्ति में 3.9 ट्रिलियन डॉलर (284 लाख करोड़ रुपए) का इज़ाफा हुआ। इस दौरान दुनिया के 10 सबसे बड़े अरबपतियों की संपत्ति 540 बिलियन डॉलर (39 लाख करोड़ रुपए) बढ़ी है। दुनिया के दूसरे सबसे अमीर, जेफ बेजोस सितंबर 2020 में अमेजन के सभी 8.76 लाख कर्मचारियों को 76.5 लाख रुपए बोनस दे सकते थे, फिर भी उनके पास महामारी से पहले जितनी संपत्ति होती। दूसरी ओर, गरीबों की संख्या 50 करोड़ बढ़ गई है। अक्टूबर में जारी वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी ने 6 करोड़ लोगों को भीषण गरीबी में धकेल दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *