चीन की 4 कंपनियों को 15 लाख करोड़ का नुकसान, टेक कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट
मुंबई– चीन की सरकार ने टेक्नोलॉजी और इंटरनेट पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इससे यहां टेक कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। पिछले 2 दिनों में 4 टेक कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट से उन्हें 15 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा घाटा अलीबाबा ग्रुप को हुआ है।
जानकारी के मुताबिक चीन की सरकार अलीबाबा ग्रुप के प्रमुख जैक मा के कारोबारी साम्राज्य पर शिकंजा कसने के मूड में है। चीन के मार्केट रेगुलेटर ने ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अलीबाबा ग्रुप के खिलाफ antitrust scrutiny शुरू करने की घोषणा की है। इसका असर अब अलीबीबा के साथ दूसरी टेक कंपनियों पर भी पड़ने लगा है। टेक कंपनियों को लगता है कि एंटीट्रस्ट जांच की आंच उन तक भी पहुंच सकती है।
Antitrust Law के डर से लगातार दूसरे दिन निवेशकों ने अलीबाबा के साथ टेनसेंट होल्डिंग्स, फूड डिलिवरी कंपनी Meituan और JD.com Inc के शेयरों को जमकर बेचा। इस वजह से आज अलीबाबा के स्टॉक्स में 8% की गिरावट आई। अक्टूबर से लेकर अब कंपनी को 20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। वहीं, Tencent और Meituan दोनों कंपनियों के शेयर आज 6% और JD.com के शेयर 2% टूटे हैं। इससे इन चारों टेक कंपनियों को पिछले दो दिनों में 15 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
चीन ने इंटरनेट सेक्टर में एंटी मोनोपोली प्रैक्टिसेज को लेकर जांच तेज कर दी है। रविवार को चीन के सेट्रल बैंक ने एंट ग्रुप को अपने कारोबारों में सुधार करने का आदेश दिया है। रेगुलेटर्स ने कहा कि एंट ग्रुप को रेगुलेटरी जरूरतों का पालन करना होगा। सुधार के मामले में चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एंट ग्रुप के एग्जीक्यूटिव्स को समन जारी किया है। रेगुलेटर्स ने एंट ग्रुप को अपनी जड़ में वापस जाने और खुद को पेमेंट सर्विस के तौर पर फिर से स्थापित करने का आदेश दिया। एंट ग्रुप की शुरुआत अलीबाबा के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Taobao के लिए पेमेंट सर्विसेज के तौर पर हुई थी।
रेगुलेटर्स के मुताबिक, एंट ग्रुप में गवर्नेंस मैकेनिज्म की कमी है। ग्रुप ने रेगुलेशन का उल्लंघन किया है। कंपनी ने मार्केट में अपनी पोजिशन का इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंदियों को बाहर करने में किया है। इससे ग्राहकों के अधिकारों और हितों को घाटा हुआ है। चीन की सरकार अलीबाबा और वीचैट के दबदबे को लेकर चिंतित है। चीन की सरकार प्राइवेट सेक्टर की उन कंपनियों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है, जो ऑनलाइन बैंकिंग में विस्तार कर रही हैं।