भारत का अपैरल बाजार 2024-25 तक 185 अरब डॉलर तक जा सकता है
मुंबई-देश का अपैरल बाजार तेजी से बढ़ रहा है। 2019 में 108 अरब डॉलर वाला यह सेक्टर 2024-25 तक 185 अरब डॉलर तक जा सकता है। इससे देश में लीडिंग ब्रांड्स को फायदा मिल सकता है। यह अनुमान देश की टेक्सटाइल्स में अग्रणी कंपनी एसपीवी ग्लोबल ने लगाया है।
बता दें कि हाल के सालों में यार्न स्पिनिंग के लिए क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होना शुरू हुआ है। यह रुझान कई देशों में तेजी से बढ़ रहा है। शेयर बाजार में लिस्टेड एसवीपी ग्लोबल वेंचर्स इस सेक्टर की एक लीडिंग कंपनी है। भारत और यूरोप की नवीनतम तकनीक के साथ एक अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की बदौलत एसवीपी मिक्स्ड, ओपन एंडेड और कॉटन यार्न के विस्तारित उत्पाद पोर्टफोलियो के साथ वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर रही है।
एसवीपी की राजस्थान और ओमान में 2017 और 2019 में शुरू किए गए प्लांट नई तकनीक से लैस हैं। राजस्थान में एसवीपी संयंत्र को एशिया में सबसे तेजी से कमीशन किए गए कॉम्पैक्ट यार्न संयंत्रों में से एक माना जाता है।
एसवीपी भारत के प्रमुख टेक्सटाइल मार्केट केंद्रों में फैले नेटवर्कों में व्यापक उपस्थिति बनाए हुई है। इसमें चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, वियतनाम, पुर्तगाल और तुर्की जैसे देशों को निर्यात शामिल है। कंपनी वर्तमान में भारत में तमिलनाडु और राजस्थान की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की मालिक है। सोहर फ्री जोन ओमान में धागे की विविधता भरी गुणवत्ता का निर्माण करती है।
भारतीय बाजारों में सूती धागे के विकास और इसके निर्यात के बारे में वल्लभ पिट्टी समूह के अध्यक्ष विनोद पिट्टी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर टेक्सटाइल की मांग बढ़ी है। ग्राहकों द्वारा ऑनलाइन खरीदारी करने के बाद से मांग बढ़ी है। यह अमेरिका द्वारा चीन के साथ व्यापार युद्ध में शामिल होने, भारत द्वारा दक्षिण पूर्व पड़ोसी से वस्त्रों पर प्रतिबंध लगाने, आपूर्ति की बाधाओं के साथ मिलकर काम करने से भारतीय यार्न निर्माताओं को अच्छी क्षमता के साथ सीधे सीधे लाभ हुआ है।
भारतीय यार्न मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री अत्यधिक बिखरा हुआ है। यह पुरानी टेक्निक वाली स्पिंडल्स से ग्रस्त है। भारत में इस समय लगभग 50 मिलियन स्पिंडल की क्षमता है। इसमें से 98% क्षमता 5 साल से अधिक पुरानी है। 80% की क्षमता 10 साल से अधिक पुरानी है।