EPF सदस्यों को 2019-20 में 8.5% की दर से ही मिलेगा ब्याज
मुंबई– इंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड (EPF) के सदस्यों को वित्त वर्ष 2019-20 में 8.5% की दर से ब्याज मिल सकता है। इसी के साथ अपने ग्राहकों को बड़ी राहत भी दे सकता है। रिटायरमेंट ईपीएफ की ब्याज दर का एकमुश्त भुगतान किया जा सकता है। इस बार सब्सक्राइबर्स को किस्तों में भुगतान होगा। एक हिस्से का भुगतान 31 दिसंबर, 2020 के बाद ही हो पाएगा। इससे 19 करोड़ लोगों को फायदा होगा।
सभी EPFO सब्सक्राइबर्स को EPF ब्याज दर एकमुश्त ट्रांसफर करने के लिए रोजगार मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। रोजगार मंत्रालय के प्रस्ताव में कहा गया है ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) यानी इक्विटी सेल से अच्छी कमाई की है। इससे अब देश के सभी EPF सब्सक्राइबर्स को मौजूदा साल का ईपीएफ इंटरेस्ट पेमेंट एक साथ दिया जा सकता है।
इससे पहले 9 सितंबर को EPFO के सेंट्रल बोर्ड ने तय किया था कि कोरोनावायरस संकट को देखते हुए ईपीएफ खाताधारकों को दो हिस्सों में ब्याज की पेमेंट की जाएगी। बोर्ड ने कहा था कि लॉकडाउन के चलते संस्था की आय पर असर पड़ा है। EPFO बोर्ड ने 9 सितंबर, 2020 को एक घोषणा में कहा था कि कोविड-19 के चलते पैदा हुई स्थिति के कारण सेंट्रल बोर्ड ने ब्याज पेमेंट के मुद्दे की समीक्षा की है। इसने केंद्र सरकार को 8.50 फीसदी के मौजूदा रेट का ही सुझाव दिया है। इसमें से 8.15% कर्ज आय और बाकी का 0.35% का पेमेंट 31 दिसंबर, 2020 तक ईटीएफ की बिक्री से हुए लाभ से किया जाएगा।
बाजार में तेजी के कारण तीन महीने पहले लगाए अनुमान के मुकाबले ईपीएफओ के पास दोगुनी रकम जमा हो गई है। ईपीएफओ अधिकारी ने कहा कि दिसंबर तक धैर्य बनाए रखने से सभी को लाभ हुआ है। ग्राहकों के खातों में ब्याज आने में थोड़ा अधिक समय जरूर लगा है, लेकिन अच्छी बात यह है कि ईपीएफओ को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की बिक्री से अधिक आय की प्राप्ति हुई है। 8.5 पर्सेंट ब्याज दर देने के बाद भी हमारे पास 1,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त रकम बच जाएगी। सितंबर में जब ईपीएफओ ने दो किस्तों में ब्याज देने का निर्णय लिया था तो उस समय इसके पास 500 करोड़ रुपए थे।
ईपीएफओ ने वर्ष 2016 में ईटीएफ में किए निवेश वित्त वर्ष 2020 में भुनाने का अनुमान लगाया था और उसे इससे 2,800 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद थी। यह लेनदेन मार्च 2020 में होना था, लेकिन कोविड 19 महामारी की वजह से बाजार में भारी बिकवाली के बाद ज्यादातर शेयर के रिटर्न पर बुरा असर हुआ था।