इंडस टॉवर्स में हिस्सेदारी बेचकर 4,000 करोड़ रुपए जुटाएगी वोडाफोन आइडिया
मुंबई- वोडाफोन आइडिया इंडस टॉवर्स में अपनी 11.15 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 4,000 करोड़ रुपए जुटाएगी। दूसरी ओर भारती इंफ्राटेल अपने टॉवर्स का इंडस टॉवर्स में विलय (मर्जर) बंद कर आगे बढ़ेगी। इस डील से वोडाफोन को मदद मिल सकेगी। आज ही सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर की बकाया रकम चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को दस साल का समय दिया है। इसमें से 10 प्रतिशत राशि पहले चुकानी होगी।
डायरेक्टर्स के बोर्ड ने 31 अगस्त को अपनी बैठक में इंडस टॉवर्स और भारती इंफ्राटेल के बीच अरेंजमेंट योजना की स्थिति और संबंधित समझौतों पर विचार किया। भारती इंफ्राटेल ने मंगलवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में कहा कि बोर्ड ने इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए चेयरमैन को अधिकृत किया है। साथ ही विलय को पूरा करने के लिए अन्य आवश्यकताओं का पालन करने का फैसला किया है। इस योजना में कुछ प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को अप्रोच किया जाएगा।
वोडाफोन ने कहा कि इसकी 11.15% इंडस में हिस्सेदारी का मूल्य लगभग 4,040 करोड़ रुपए के बराबर है। अंतिम फैसला विलय बंद होने से कुछ ही समय पहले तय होगा। भारती इंफ्राटेल ने जवाब में कहा कि मास्टर सर्विस एग्रीमेंट्स (एमएसए) के तहत वोडाफोन के भुगतान की बाध्यता को सुरक्षित करने के लिए, “वोडाफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड और यूके के वोडाफोन समूह पीएलसी ने विलय की गई कंपनी के लाभ के लिए कुछ सिक्योरिटी अरेंजमेंट किया है। इसमें वोडाफोन पीएलसी द्वारा एक कॉर्पोरेट गारंटी शामिल है, जो कुछ स्थितियों और घटनाओं में ट्रिगर हो सकती है। भारती इन्फ्राटेल ने कहा कि ये सुरक्षा व्यवस्थाएं सभी लागू नियामक अप्रूवल और वोडाफोन पीएलसी के उधारदाताओं के किसी भी अप्रूवल के अधीन हैं।
बता दें कि एजीआर पर फैसले के बाद आज वोडाफोन आइडिया का शेयर 10 प्रतिशत से ज्यादा टूटकर बंद हुआ है। हालांकि भारती एयरटेल का शेयर बढ़त के साथ बंद हुआ है। दरअसल विश्लेषकों का मानना है कि भारती के लिए 10 साल में एजीआर भरना आसान है। जबकि वोडाफोन के लिए यह मुश्किल है। यही कारण है कि वोडाफोन के शेयरों में गिरावट दिखी है।
वैसे टेलीकॉम कंपनियों को अगले दस साल तक ब्याज के साथ यह एजीआर भरना है। अगर सालाना 8 प्रतिशत ब्याज माना जाए तो फिर ब्याज के साथ भारती को हर साल 3,900 करोड़ रुपए दस साल तक भरना होगा। बिना ब्याज के उसे 2,600 करोड़ रुपए भरना होगा। इसी तरह वोडाफोन को 7,500 करोड़ रुपए औऱ् 5,000 करोड़ रुपए सालाना देना होगा।