सरकारी खरीद पोर्टल जीईएम के कारण सरकार को 45 हजार करोड़ का फायदा
मुंबई- सरकारी खरीद पोर्टल जीईएम खजाने के लिए फाफी फायदे का सौदा साबित हो रहा है। इससे सरकारी खजाने को हर साल हजारों करोड़ रुपये की बचत हो रही है। आंकड़ों के अनुसार, पोर्टल की शुरुआत से लेकर अब तक इसने सरकार को 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बचाने में मदद की है।
वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सरकारी खरीद के लिए बने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस ने सरकारी खजाने को अब तक 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत कराई है। सरकार ने इस पोर्टल की शुरुआत 2016 में की थी। इस पोर्टल को शुरू करने का उद्देश्य सरकारी विभागों, मंत्रालयों और सरकारी कंपनियों के लिए खरीदारी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना था।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, जीईएम ने न सिर्फ अपने सभी उद्देश्यों को हासिल किया है, बल्कि उसने बड़े पैमाने पर खजाने को बचत कराई है। इसके अलावा भारतीय पोर्टल ने दक्षिण कोरिया के ई-प्रोक्यूर पोर्टल कोनेप्स और सिंगापुर के जीईबिज जैसे प्लेटफॉर्म को भी पीछे छोड़ दिया है।
पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो पोर्टल पर सरकारी कंपनियों के ऑर्डर में काफी तेजी आई है. 2022-23 के दौरान केंद्र सरकार की कंपनियों समेत केंद्रीय खरीदारों ने 100 करोड़ रुपये से ऊपर के 70 से ज्यादा ऑर्डर पोर्टल पर प्लेस किया। अगर विभिन्न राज्य सरकारों और संबंधित संस्थाओं द्वारा दिए गए सारे ऑर्डर को जोड़ दें तो, पोर्टल के महत्व का बेहतर पता चलता है।
वित्त वर्ष 22-23 के दौरान पोर्टल के माध्यम से करीब 42 हजार करोड़ रुपये की वैल्यू के ऑर्डर का लेन-देन किया गया, जो वित्त वर्ष 21-22 में हुए लेन-देन की वैल्यू की तुलना में करीब 35 फीसदी ज्यादा है। जीईएम पोर्टल पर अभी 70 हजार से ज्यादा सरकारी खरीदार पंजीकृत हैं। यह आंकड़ा जुलाई 2023 तक का है। इसी तरह जुलाई 2023 तक इस पोर्टल पर करीब 65 लाख विक्रेता पंजीकृत हो चुके हैं।