यूटीआई म्यूचुअल फंड में हिस्सेदारी कम न करने पर एसबीआई, एलआईसी और बैंक ऑफ बड़ौदा पर सेबी ने 10-10 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई

मुंबई– पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने देश के तीन प्रमुख वित्तीय संस्थानों पर 30 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है। इसमें एसबीआई पर 10 लाख रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा पर 10 लाख रुपए और एलआईसी पर 10 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई गई है। यह पेनाल्टी यूटीआई म्यूचुअल फंड में हिस्सेदारी कम न करने पर लगाई गई है।  

सेबी ने शुक्रवार को तीन अलग-अलग आदेशों में यह जानकारी दी। सेबी ने कहा कि 12 मार्च को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी की गई थी। बता दें कि यूटीआई म्यूचुअल फंड में बैंक ऑफ बड़ौदा, एलआईसी और एसबीआई की 18.50-18.50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जबकि बाकी की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बाहरी कंपनी टी रोवे प्राइस के पास है। सेबी ने इस संबंध में तीनों को पिछले साल ही हिस्सेदारी कम करके 10 प्रतिशत से नीचे लाने का आदेश दिया था। नियमों के मुताबिक अगर कोई कंपनी खुद भी म्यूचुअल फंड बिजनेस में है तो वह दूसरे म्यूचुअल फंड बिजनेस में 10 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकती है।  

बैंक ऑफ बड़ौदा की खुद की म्यूचुअल फंड कंपनी बड़ौदा म्यूचुअल फंड है जबकि एसबीआई की एसबीआई म्यूचुअल फंड है और एलआईसी का एलआईसी म्यूचुअल फंड है। सेबी ने कहा कि 13 मार्च 2018 को आदेश जारी किया था गया था और इसमें एक साल के अंदर हिस्सेदारी कम करने को कहा गया था। इस हिसाब से पिछले साल ही यह हिस्सेदारी कम होनी चाहिए थी। इस मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा ने सेबी को जवाब दिया था कि उसने 27 अप्रैल 2018 को यूटीआई के आईपीओ के लिए मंजूरी दे दी थी। लेकिन कई सारे होल्डर्स होने से यह मामला अटका रहा। साथ ही बैंक ऑफ बड़ौदा ने सेबी ने इसके लिए समय मांगा था, लेकिन सेबी ने यह देने से मना कर दिया था।  

बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि यह मामला सरकार के दीपम (डीआईपीएएम) के पास था और वहां से मंजूरी बाकी थी। हालांकि इस समय यूटीआई ने सेबी के पास आईपीओ की मंजूरी के लिए डीआरएचपी भी फाइल किया है। सेबी ने इसके लिए मंजूरी भी दे दी है। 16 जून को सेबी ने आईपीओ की मंजूरी दी और कहा कि एक साल के भीतर उसे आईपीओ लाना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि यूटीआई का आईपीओ अगले कुछ महीनों में आ सकता है।  इस आईपीओ में सभी शेयर धारक 8.50-8.50 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचेंगे। बता दें कि इस मामले में दीपम की वजह से देरी हुई। पहले तो यूटीआई के एमडी एंड सीईओ के पद को भरना था। दीपम की वजह से इसमें देरी हुई। बाद में दीपम ने इम्तियाजुर रहमान को एमडी की बजाय केवल सीईओ ही नियुक्त किया। इसके बाद जाकर आईपीओ का मामला आगे बढ़ा है।  

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