25 साल पहले बाटा पहननेवाले बच्चे लोगों के साथ आदित्य पुरी ने एचडीएफसी बैंक में शुरू किया था काम

मुंबई– हाल में एचडीएफसी बैंक का एजीएम हुआ था। इस एजीएम में देश में किसी भी कमर्शियल बैंक में सबसे लंबे समय तक एमडी रहनेवाले आदित्य पुरी ने शुरुआती दौर को याद किया। कैसे सीईओ के रूप में उनका और बैंक का कामकाज शुरू हुआ। आज की तारीख में भारत के सबसे बड़े निजी बैंक की स्थापना का श्रेय पाने वाले पुरी एचडीएफसी बैंक को 6 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप वाला बैंक बना दिए। सबसे मूल्यवान बैंक बनाने के बाद पूरी अक्टूबर में जब 70 साल के हो जाएंगे तो रिटायर हो जाएंगे।

एजीएम में पुरी ने कहा कि जब हमने अपने इस बैंक की स्थापना करीब 25 साल पहले की तो उसमें से हमारे कई साथी बच्चे थे। बाटा के जूते पहनने वाले कई साथी उसमें से मिडल क्लास से आते थे। उनमें से कई तो विदेशी कंपनियों में अच्छे पदों पर काम कर रहे थे। उन सभी के दिलों में यह लालसा थी कि भारत में भी एक वर्ल्ड क्लास बैंक स्थापित हो। शेयर होल्डर्स से उन्होंने कहा कि मुझे अच्छी तरह याद है कि जब मैं सैंडोज हाउस में लोगों को बैंक के लिए फायर कर रहा था तो यही कहता था कि आओ और बेस्ट बैंक ऑफ द वर्ल्ड के साथ जुड़ जाओ।

वे कहते हैं कि जब हम काम शुरू कर रहे थे, तो हमारे पास पैसे नहीं थे। इसलिए हमने कमला मिल्स में जाकर अपना कार्यालय खोला। जब हम सुबह वापस आए तो पाया कि कंप्यूटर और अन्य मशीनें ठीक से काम ही नहीं कर रही थी क्योंकि चूहों ने उनके केबल को कुतर डाला था। उन्होंने कहा, हमारी स्थिति ऐसी थी कि शुरू में हमारे ट्रेनिंग केंद्र पेड़ों के नीचे हुआ करते थे। पर भगवान का शुक्र है कि हमने फैसला लिया, हम आगे बढ़े और हम वहां हैं जहां हम हैं।

पुरी ने उन अफवाहों को खारिज कर दिया कि उनसे पहले बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों का पलायन कर रहे हैं। पुरी ने कहा, भगवान की कृपा से बाटा शूज के साथ हमारे सभी सहयोगी आज बिना नौकरी के गुजारा कर सकते हैं। पुरी ने स्वीकार किया कि वाहन फाइनेंसिंग बिजनेस में बैंक की आंतरिक जांच में कुछ कर्मचारियों की घटना सामने आई जिसके लिए उचित कार्रवाई की गई।

पुरी ने कहा कि अशोक खन्ना ने भी जांच प्रक्रिया में हिस्सा लिया था और बाद में वे मार्च 2020 को रिटायर हो गए। पुरी ने कहा कि अर्थव्यवस्था की गति में थोड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान पेंट अप डिमांड में थोड़ी कमी आई है।

पुरी के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक का उत्तराधिकारी हमेशा बैंक के भीतर से ही आना चाहिए। अब यह आरबीआई पर निर्भर करता है कि बैंक ने जो सिफारिश की थी, उस पर वह क्या फैसला करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के निराशावादी माहौल के बावजूद न तो एचडीएफसी बैंक और न ही उसकी सहायक एचडीबी फाइनेंस ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है।उन्होंने कहा कि जहां उधारकर्ताओं के एक वर्ग ने दूसरे दौर के मोरेटोरियम में पहले तीन महीनों के लिए इसका लाभ उठाया था, वहीं बैंक के केवल 6% उधारकर्ताओं ने अपने लोन रिपेमेंट पर मोरेटोरियम का लाभ उठाया।

पुरी ने एजीएम में बैंक के एमडी के रूप में अंदर के ही किसी अधिकारी को प्रमोट करने का संकेत दिया। अप्रैल में इस बैंक ने 4 अधिकारियों के नाम को आरबीआई के पास दिया था। इसमें से शशिधर जगदीशन और कायजाद भरूचा बैंक के अधिकारी हैं। शशिधर 1996 में बैंक में आए और 2008 में वे सीईओ बने। भरूचा ईडी हैं वे बैंक की स्टार्टअप टीम में हैं। तीसरा नाम सिटीबैंक के सुनील गर्ग का माना जा रहा था।

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