फेसबुक और गूगल को सस्ते वैल्यूएशन पर जियो में मिली हिस्सेदारी, बाकी कंपनियों को महंगे भाव में मिला हिस्सा
मुंबई- रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो प्लेटफॉर्म में बुधवार को गूगल का नाम जुड़ गया। गूगल ने 7.73 प्रतिशत की हिस्सेदारी के लिए 33,737 करोड़ का निवेश का फैसला किया है। हालांकि अब तक जियो में जितना निवेश हुआ है, उसमें फेसबुक और गूगल को सस्ते वैल्यूएशन पर हिस्सा मिला है। जबकि बाकी कंपनियों को महंगे वैल्यूएशन पर हिस्सा मिला है। गूगल और फेसबुक को 4.36 लाख करोड़ रुपए के इक्विटी वैल्यूएशन और 4.61 लाख करोड़ रुपए के इंटरप्राइज वैल्यूएशन पर हिस्सा मिला है।
आरआईएल की ओर से जारी सभी निवेशकों के निवेश को देखने पर पता चलता है कि गूगल और फेसबुक को जियो में 4.36 लाख करोड़ रुपए के इक्विटी वैल्यूएशन पर हिस्सेदारी मिली है। गूगल को 7.72 और फेसबुक को 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली है। इन दोनों ने मिलकर कुल करीबन 77 हजार करोड़ रुपए का निवेश जियो प्लेटफॉर्म में किया है। इनके निवेश के समय जियो का इंटरप्राइज वैल्यू 4.61 और 4.62 लाख करोड़ रुपए रहा है। जियो में कुल 34.1 प्रतिशत हिस्सेदारी अब तक बिक चुकी है और उसे 152,054 करोड़ रुपए मिले हैं।
उधर इन कंपनियों के अलावा बाकी जिन कंपनियों ने निवेश किया है, उसमें सभी ने 4.91 लाख करोड़ इक्विटी वैल्यूएशन पर जियो प्लेटफॉर्म में निवेश किया है। इन सभी के लिए इंटरप्राइज वैल्यूएशन 5.16 लाख करोड़ रुपए रखा गया। कुल मिलाकर 14 निवेश 13 कंपनियों ने किया है। इसमें प्रमुख रूप से सिल्वरलेक, विस्टा, अबूधाबी इनवेस्टेमेंट अथॉरिटी, मुबादला, टीपीजी, इंटर कैपिटल आदि का समावेश है। इस तरह से 1.52 लाख करोड़ रुपए के निवेश में से करीबन आधा हिस्सा गूगल और फेसबुक का ही है।
इस मामले में बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि जिन कंपनियों ने ज्यादा हिस्सेदारी ली उन्हें थोड़ा सस्ता वैल्यूएशन जरूर मिला है। पर बाकी को उनसे महंगा वैल्यूएशन मिला है। हालांकि यह कोई मायने नहीं रखता है। क्योंकि आरआईएल के वैल्यूएशन के आधार पर जियो का वैल्यूएशन इस समय सही है। उधर के.आर. चौकसी के एमडी देवेन चौकसी कहते हैं कि माइक्रोसॉफ्ट और फ़ेसबुक के साथ अब गूगल का बड़ा योगदान होने जा रहा है। माइक्रोसॉफ्ट बाद में वित्तीय निवेशकों के रूप में शामिल हो सकता है। यह आने वाले समय में विभिन्न प्रोजेक्ट्स के बड़े रोलआउट का संकेत दे रहा है।
उन्होंने कहा कि जियो प्लेटफॉर्म अगले दशक में 30 प्रतिशत के सीएजीआर की दर से वृद्धि करेगा। जियो अगले 18-24 महीनों में आरआईएल में 10 लाख करोड़ मार्केट कैप का योगदान दे सकता है। रिलायंस रिटेल को O2O मॉडल में आकार दिया जा रहा है। यानी ऑफलाइन टू ऑनलाइन कंपनी में। चौकसी कहते हैं कि अगले 18 महीनों में आरआईएल में रिटेल का मार्केट कैप में हिस्सा 5 लाख करोड़ रुपए का हो सकता है।
कंपनी वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करके हाइड्रो कार्बन से ग्रीन कंपनी तक मुक्त होने के लिए 15 वर्ष का रोडमैप निर्धारित किया है। यह समय के साथ उठाया गया कदम है जो सुझाव देता है कि O2C अब एक कमोडिटी बिजनेस नहीं होगा। यह पॉजिटिव कैश जनरेटर बना हुआ है। आरआईएल में ओ2सी का मार्केट कैप में योगदान 7.50 लाख करोड़ हो सकता है। अगले 18-24 महीनों में आरआईएल के 20 से 22 लाख करोड़ की मार्केट कैप कंपनी होने की संभावना है। यह 2 साल में मार्केट कैप में 100 प्रतिशत ग्रोथ है।