भारत के डिजिटल क्षेत्र में एक बड़ा मैदान देसी कंपनियों के लिए खाली, जियो और अंबानी के लिए बना बनाया बाजार मिला

मुंबई- भारत ने पड़ोसी देश चीन के साथ सीमा विवाद पर हिंसक झड़पों के बाद 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाकर डिजिटल के क्षेत्र में देसी कंपनियों के लिए एक बड़ा स्थान खाली कर दिया है। जिस तरह से युवा टिकटॉक और इसकी तरह अन्य कंपनियों के जाल में फंसे थे, वह अब देसी कंपनियों के लिए अकेले मैदान जैसा हो चुका है। सस्ते डेटा चार्ज से यह संभव है कि इस तरह के ऐप पर रोजाना 10 करोड़ का एक्टिव यूजर्स बेस मिल जाएगा। यह यूजर्स बेस मूलरूप से ग्रामीण इलाकों से भी होगा।

शहर शहर और गांव-गांव के लोगों के लिए अपनी एंकरिंग वीडियो के माध्यम से कराने के लिए प्रसिद्ध हो चुका टिक टॉक अब भारत से गायब हो चुका है। यही हाल टिक टॉक के चचेरे भाइयों बिगो लाइव और लाइकी का हुआ है। अब इस रिक्त स्थान को कैसे भरा जा सकता है? शुक्र है कि भारत में प्रति गीगाबाइट यूज किए जाने वाले डाटा के चार्ज काफी कम हैं। इसके चलते भारतीय स्मार्टफोन यूजर्स दिन रात इसकी खपत में कम से कम 6 घंटे तक या उससे ज्यादा भी लगे रहते हैं। मोबाइल फोन के लिए लॉक स्क्रीन पर गेम न्यूज और वीडियो देनेवाले ग्लांस जैसे लोकल स्टार्टअप के लिए चीनी एप्स पर लगाया प्रतिबंध संभावनाओं के दरवाजे खोल गया है। अब इसके डेली एक्टिव यूजर्स की संख्या 10 करोड़ तक पहुंच सकती है। देश का एक बड़ा युवा वर्ग भी बायजू जैसे देसी शिक्षा प्लेटफॉर्म को अपना अवसर बढ़ाने और सिद्ध करने का एक मौका देता है।

इस पूरे मामले में अंतिम फायदा सुपर-ऐप्स को जा सकता है जो अंग्रेजी के अलावा 16 अन्य भारतीय भाषाओं में कंटेंट और कॉमर्स को क्रिएट करते हैं। ये 50 लाख से 50 करोड़ यूज़र्स तक अपनी पहुंच बनाने की ताकत रखते हैं। Tencent होल्डिंग्स लिमिटेड का WeChat, जो मैसेजिंग से गेमिंग और वित्तीय सेवाओं के लिए सब कुछ प्रदान करता है, एक सफल टेम्पलेट प्रदान करता है। चीनी लोग भी एक दिन में छह घंटे के लिए ऑनलाइन रहते हैं। वे ज्यादातर ब्राउज़ करने के लिए या विशेष रूप से सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। 

हालांकि उनके समय का केवल 4% ई-कॉमर्स पर खर्च किया होता है, परंतु यह वार्षिक ऑनलाइन बिक्री में 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुचाने के लिए पर्याप्त है। 40 अरब डॉलर की ऑनलाइन बिक्री के साथ छोटे भारतीय बाजार कुछ ऐसा ही करना चाहेंगे।सबसे बड़ा सुपर-ऐप अरबपति मुकेश अंबानी का जियो प्लेटफॉर्म्स है। इसने अपने 4 साल के सफर में 65 बिलियन डॉलर की इक्विटी वैल्यू वाली कंपनी बना ली है। इसने हाल ही में फेसबुक इंक, केकेआर एंड कंपनी और सिल्वर लेक पार्टनर्स सहित निवेशकों 15 बिलियन डालर जुटाए हैं।

इससे पहले कि अंबानी इसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज या नैस्डेक में लिस्ट कराने की सोचें, वह यह जरूर चाहेंगे कि उनका यह जियो प्लेटफॉर्म कम से कम 50 करोड लोगों के लिए अच्छा कंटेंट देने वाला प्लेटफॉर्म बन जाए। जियो की 4जी टेलीकॉम सर्विस में पहले से ही मोटे तौर पर 40 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। हालांकि वे फिलहाल दो डॉलर प्रति महीने का भुगतान भी नहीं करते हैं। यह यूज़र्स को होटल बुक करने, टैक्सियों को आर्डर देने, ब्यूटी प्रोडक्ट की वास्तविकता का पता लगाने जैसी सर्विसेज ऑफर करता है।

मैकिंजी एंड कंपनी के अनुसार, जब प्रोडक्ट इनोवेशन और इंटरेस्ट की बात आती है, तो चीन के ये एम्बेडेड मिनी-ऐप अब ऑनलाइन स्टोर के रूप में एक चौथाई रूप से प्रभावी पाए जाते हैं। वे भारत में ब्रांड को दूरदराज के कस्बों में भी अधिक और अधिक लाभ कमाने का मौका देंगे।

कंसल्टिंग फर्म ने पाया कि चीन के छोटे शहरों के युवा यूज़र्स, बड़े शहरों के अपने समकक्षों की तुलना में दोस्तों द्वारा सोशल मीडिया से संबंधित सलाह के लिए ज्यादा तरजीह देते हैं। यह शायद भारत के लिए भी सही होगा। जहां तक बिजनेस की बात है, अंबानी का नया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जियोमार्ट, ऑर्डर लेगा और अगर रेगुलेटल इसकी अनुमति देता है तो वॉट्सऐप के जरिए भुगतान स्वीकार किया जाएगा।

सामानों को पारंपरिक पड़ोस की दुकानों द्वारा डिलीवर जा सकता है। जियो के साथ उन्हें खरीदारी करने में मदद मिलेगी। प्रोडक्ट के लिए अंबानी अपनी रिलायंस रिटेल लिमिटेड का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पहले से ही देश की सबसे बड़ी रिटेलर है। क्रेडिट के साथ सुपर-ऐप कॉमर्स को रफ्तार देना मुश्किल नहीं होगा। उपयोगकर्ताओं को नए कंटेंट से जोड़े रखना महत्वपूर्ण होगा। फेसबुक अभी क्वेस्ट वर्चुअल रियलिटी हेडसेट्स का एक नया एडीशन बना रहा है और सिलिकॉन वैली फर्म वीआर गेम्स बनाने वाले स्टूडियो भी हासिल कर रही है। जियो, जो ऑनलाइन गेमिंग का समर्थन करने के लिए अपने सेट-टॉप बॉक्स को चाहता है, अब उसे एक नया अवसर मिल सकता है।

हालांकि, मनोरंजन का मुख्य एरिया अभी भी क्रिकेट और बॉलीवुड ही होगा। पिछले साल अंबानी ने “जियो फर्स्ट डे फर्स्ट शो” का वादा किया था। इसके तहत थिएटर रिलीज के दिन ही ब्रॉडबैंड कस्टमर्स को फिल्में स्ट्रीम की गईं। अब जबकि कोविड-19 में सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया है, भारत में प्रोड्यूसर को डिजिटल विकल्पों की आवश्यकता है। अंबानी लीड ले रहे हैं, लेकिन ये उनका भारत का एकमात्र सुपर-ऐप नहीं होगा। Amazon.com इंक ने देश में 5.5 अरब डॉलर के निवेश करने का वादा किया है, जबकि वॉलमार्ट इंक ने स्थानीय ई-कॉमर्स लीडर फ्लिपकार्ट ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के अधिग्रहण के लिए 16 अरब डॉलर लगा दिया है।

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