इन चीनी कंपनियों के शेयरों में 52% तेजी की उम्मीद, ब्रोकरेज हाउस ने बढ़ाया लक्ष्य
मुंबई– चीनी कंपनियों के शेयरों में आने वाले दिनों में बेहतरीन रिटर्न मिलने की उम्मीद है। हालांकि ये शेयर पिछले 1-2 महीनों में 100% से ज्यादा का फायदा दे चुके हैं। फिर भी इनमें आगे 52% तक का रिटर्न मिलने की संभावना है।
ICICI डायरेक्ट ने चीनी कंपनियों के शेयरों पर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में 6 कंपनियों को लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बलरामपुर चीनी का भाव अभी 344 रुपए है। यह शेयर 515 रुपए तक जा सकता है। इसमें 52% तक रिटर्न मिल सकता है। डालमिया भारत का भाव अभी 467 रुपए है। जबकि यह 650 रुपए तक जा सकता है। यानी 42% का फायदा मिलेगा। त्रिवेणी इंजीनियरिंग के शेयर का भाव 199 रुपए है। यह 270 रुपए तक जा सकता है। 38% का फायदा इसमें मिल सकता है।
ब्रोकरेज हाउस ने धामपुर सुगर के शेयर को 500 रुपए के लक्ष्य पर खरीदने की सलाह दी है। इसमें 37% का रिटर्न मिल सकता है। यह शेयर अभी 375 रुपए पर कारोबार कर रहा है। अवध सुगर को इसने 685 रुपए के लक्ष्य पर खरीदने की सलाह दी है। यह 502 रुपए पर कारोबार कर रहा है। द्वारिकेश सुगर का लक्ष्य 110 रुपए है जबकि इसका अभी का भाव 80 रुपए है। इसमें 48% का फायदा मिल सकता है।
वैसे इन कंपनियों के शेयरों में पिछले 4 महीनों में 2 से 4 गुना की बढ़त आ चुकी है। पर ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि इसमें अभी भी तेजी की उम्मीद बनी है। तेजी का कारण यह है कि इसमें स्ट्रक्चरल ग्रोथ दिख रही है। क्योंकि सरकार ने एथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम को तेजी से लागू किया है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां 300 करोड़ लीटर से ज्यादा का एथेनॉल प्रोक्योर कर सकती हैं। पिछले साल यह 180 करोड़ लीटर था। इसलिए ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि चीनी इंडस्ट्री हर साल 60 लाख टन ज्यादा चीनी का निर्माण कर सकती है।
ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि इस वजह से चीनी कंपनियों की आय में बढ़त होगी। जून 2021 में सरकार ने एथेनॉल के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। इसके मुताबिक मोलासिस और ग्रेन आधारित एथेनॉल की क्षमता में 10-20% की बढ़त 2022-25 तक आएगी। ऐसे में चीनी की कीमतें 2022 तक 36-37 रुपए प्रति किलो पर आ सकती हैं।
पिछले 1 साल में वैश्विक स्तर पर चीनी की कीमतों में 50% का इजाफा हुआ है। हालांकि उसके पहले दो साल तक चीनी का उत्पादन कम था। ऐसा इसलिए क्योंकि थाइलैंड में चीनी का उत्पादन कम था और यही देश सबसे ज्यादा चीनी का निर्यात करता है। ऐसे में आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर चीनी की कीमतें बढ़ेंगी और इसका फायदा भारत की उन चीनी कंपनियों को मिलेगा जो निर्यात करती हैं।
रिपोर्ट कहती है कि हमारा मानना है कि एथेनॉल की बिक्री दोगुना हो सकती है। यह बड़ी चीनी कंपनियों के रेवेन्यू में 25-30% का योगदान कर सकती है। चीनी इंडस्ट्री की बात करें तो पिछले दो सालों में इसकी इन्वेंटरी 14.5 मैट्रिक टन से कम होकर सितंबर 2021 में 8 मैट्रिक टन हो जाएगी। इंडस्ट्री 7 मैट्रिक टन चीनी का निर्यात कर दी है।