डायरेक्ट सेलिंग वाली कंपनियों पर कसा शिकंजा, खराब और नकली माल वापस लेने होंगे
मुंबई– ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दे रही केंद्र सरकार अब डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए कानून लेकर आई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए नियम-कानूनों का ड्राफ्ट जारी किया है। यह नियम एमवे, ऑरिफ्लेम, टपरवेयर जैसी डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए अनिवार्य होंगे।
प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके अलावा प्रस्तावित ड्राफ्ट में डायरेक्ट सेलर्स या एजेंट्स की सुरक्षा और कंपनियों को ग्राहकों के प्रति जिम्मेदार बनाए रखने वाले नियम-कानून शामिल किए गए हैं।
यह पहला मौका है जब देश में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए नियम-कानून बनाए गए हैं। इसके मुताबिक, डायरेक्ट सेलिंग के कारोबार से जुड़ी कंपनियां एजेंट्स से एंट्री फी या रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर किसी भी प्रकार की वसूली नहीं कर पाएंगी। ना ही कंपनियां एजेंट्स से सेल्स के दौरान प्रदर्शित किए जाने वाले उपकरणों या अन्य मैटेरियल की लागत ले पाएंगी।
इससे पहले मंत्रालय ने डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए 2016 में भी गाइडलाइंस का सेट जारी किया था। लेकिन वह केवल एक एडवाइजरी थी। अब प्रस्तावित किए गए नियमों को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कानूनी रूप दिया गया है और इनका पालन ना करने पर पेनाल्टी लग सकती है। ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, भारत में कारोबार करने वाली प्रत्येक डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट (DPIIT) के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। कंपनी का कम से कम 1 ऑफिस भारत में होना चाहिए।
ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, डायरेक्ट सेलिंग कंपनी का रजिस्ट्रेशन नंबर कंपनी की वेबसाइट और प्रत्येक इनवॉइस पर प्रमुख रूप से डिस्प्ले होना चाहिए। समस्याओं के समाधान के लिए कंपनी को विशेष अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी। सभी प्रकार के मु्द्दों को सुलझाने के लिए कंपनियों को एक 24*7 कस्टमर केयर नंबर की आवश्यकता होगा।
प्रस्तावित रूल्स में साफ कहा गया है कि कोई भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी पिरामिड स्कीम प्रमोट नहीं कर पाएंगी। ना ही ऐसी कंपनियां डायरेक्ट सेलिंग बिजनेस में बढ़त बनाने के लिए मनी सर्कुलेशन स्कीम में भाग ले सकेंगी। पिरामिड स्कीम एक ऐसा बिजनेस मॉडल है जिसमें जुड़ने वाले सदस्यों से वादा किया जाता है कि उनको अन्य सदस्य जोड़ने पर भुगतान या सेवा मिलेगा। ऐसी स्कीम में उत्पादों या सेवाओं की बिक्री नहीं होती है। ड्राफ्ट रूल्स में कहा गया है कि पूरे देश में कारोबार करने वाली कंपनियों को 90 दिनों के अंदर इन नियमों का पालन करना होगा।
प्रस्तावित रूल्स में कहा गया है कि डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों को खराब या नकली सामान और सेवाओं में कमी को वापस लेना होगा। साथ ही कंपनियों को सामान और सेवाओं के बदले ली गई राशि को लौटाना होगा। ड्राफ्ट रूल्स में एजेंट या सेलर के लिए ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ भी प्रस्तावित किया गया है। इसके तहत एजेंट तय समय के अंदर समझौते से इनकार कर सकता है। ऐसा करने पर एजेंट पर समझौता उल्लंघन का आरोप नहीं लगेगा और ना ही उस पर पेनाल्टी लगाई जाएगी।