फार्मइजी को थायरोकेयर ने खरीदा, 6,300 करोड़ में हुई डील

मुंबई– फार्मा स्टार्टअप फार्मइजी ने डायग्नोस्टिक चेन थायरोकेयर टेक्नोलॉजीस को खरीद लिया है। यह सौदा 6300 करोड़ रुपए में हुआ है। इसमें थायरोकेयर के फाउंडर ए. वेलुमनी की कंट्रोलिंग हिस्सेदारी भी शामिल है। आधिकारिक बयान के मुताबिक, फार्मइजी की पैरेंट कंपनी एपीआई होल्डिंग्स और थायरोकेयर के बीच वेलुमनी की 66.1% हिस्सेदारी खरीदने को लेकर शुक्रवार को समझौता हुआ है। यह हिस्सेदारी 1300 रुपए प्रति शेयर पर की दर से 4,546 करोड़ रुपए में खरीदी गई है। 

इसके अलावा थायरोकेयर की अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी को एपीआई ओपन ऑफर के जरिए खरीदेगी। इसके लिए एपीआई 1788 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस सौदे के बाद वेलुमनी को एपीआई की 5% हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प दिया जाएगा। इसके लिए अलग सौदा होगा। एपीआई होल्डिंग्स के सीईओ सिद्धार्थ शाह ने कहा कि यह एक बहुत ही साहसी कदम है जब एक 7 साल पुरानी कंपनी ने 25 साल पुरानी थायरोकेयर का अधिग्रहण किया है। इस सौदे से फार्मइजी, थायरोकेयर की सेवाओं का लाभ उठाते हुए 70% भारतीयों को 24 घंटे घर बैठे ब्लड रिपोर्ट और दवाएं ऑफर कर सकेगी।  

मौजूदा समय में थायरोकेयर के पास 4 हजार पार्टनर लैब का नेटवर्क है। वहीं फार्मइजी हर महीने 6 हजार डिजिटल कंसलटेशन क्लीनिक और 90 हजार पार्टनर रिटेलर के जरिए 1.7 करोड़ ग्राहकों को सेवा देती है। शाह ने कहा कि डायग्नोस्टिक काफी महत्वपूर्ण है। थायरोकेयर के पास आउटस्टैंडिंग बैकएंड और काफी कम लागत वाला स्ट्रक्चर है। हमारे पास अविश्वसनीय फ्रंट एंड है। थायरोकेयर की स्थापना 1996 में हुई थी। 

सिद्धार्थ शाह ने कहा कि इस खरीदारी के लिए फार्मइजी 4 अरब डॉलर की वैल्यू पर 500 मिलियन डॉलर का फंड जुटाएगी। उन्होंने कहा कि हम कई इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के संपर्क हैं। इसमें कई मौजूदा इन्वेस्टर भी शामिल हैं। फार्मइजी ने इसी साल अप्रैल में 1.4 अरब डॉलर की वैल्यू पर 323 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया था। शाह ने कहा कि कंपनी आईपीओ लाने की योजना बना रहा है लेकिन इसको लेकर अभी कोई टाइमलाइन तय नहीं की गई है। 

कुछ सप्ताह पहले ही टाटा ग्रुप ने 1एमजी में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नेटमेड्स की 620 करोड़ रुपए में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है। ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने भी हाल ही में फार्मा उत्पादों की रिटेल बिक्री शुरू की है। शाह का कहना है कि हम टाटा और रिलायंस जैसे युद्ध में शामिल नहीं हैं। वे काफी बड़े लोग हैं। हम अपने काम पर फोकस करना चाहते हैं। यह पूरा सौदा 15 दिन में पूरा हो गया है।  

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