बैंक मैनेजर ने शेयर ट्रेडिंग के लिए ग्राहकों के 1 करोड़ रुपए गायब किए, 200 ग्राहक फंसे
मुंबई– बिहार में ग्रामीण बैंक के एक मैनेजर को शेयर ट्रेडिंग का ऐसा चस्का लगा कि उसने अपने कस्टमर्स के अकाउंट में ही सेंध लगाना शुरू कर दिया। बक्सर जिले के आशा पड़ारी ब्रांच के मैनेजर रविशंकर कुमार ने इसके लिए अपने पावर का बेजा इस्तेमाल किया।
वह ग्राहक के न तो पासबुक प्रिंट होने देता था और न ही पैसे जमा होने पर SMS ही जाने देता था। उसने करीब 200 से अधिक अकाउंट के ट्रांजेक्शन की जानकारी पर पूरी तरह कंट्रोल कर रखा था। शुरुआती जांच में करीब 1 करोड़ रुपए से अधिक की राशि के गबन का मामला सामने आया है। अभी विजिलेंस की टीम जांच कर रही है, इसमें और भी खुलासे होने बाकी हैं। उसके जानने वाले लोगों का कहना है कि वह शेयर बाजार से रातों रात अमीर बनने का सपना देखने लगा था।
कुछ दिनों पहले एक ग्राहक अपने अकाउंट से रुपए निकालने आशा पड़री ब्रांच पहुंचा था। बैंक की तरफ से ग्राहक को कहा गया कि आपके अकाउंट में तो रुपए ही नहीं हैं। उसने इसकी शिकायत रीजनल ऑफिस में की। वहां कुछ और कस्टमर्स ने पहले भी ऐसी शिकायतें दर्ज कराई थीं। जब ज्यादा शिकायतें आई तो मामले से पटना हेड ऑफिस को अवगत कराया गया। इसके बाद बैंक ने विजिलेंस से जांच कराई, जिसमें इस गबन का खुलासा हुआ। जांच रिपोर्ट के बाद मैनेजर रविशंकर को सस्पेंड कर दिया गया।
वहीं, रीजनल मैनेजर विकास कुमार भगत ने बक्सर के सेमरी थाने में रविशंकर, उमेश सिंह, आरती देवी सहित कुल 5 लोगों के खिलाफ तीन दिन पहले FIR दर्ज कराई थी। जिसके बाद रविवार को बक्सर पुलिस ने पटना के बोरिंग रोड के हिमगिरी अपार्टमेंट से आरोपी रविशंकर को अरेस्ट कर लिया। इस पर ड्यूटी के दौरान बैंक के 200 से अधिक कस्टमर्स के अकाउंट में सेंधमारी कर फर्जी चेक के जरिए अकाउंट्स से अवैध तरीके से रुपए की निकासी करने का आरोप है।
पिछले साल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई हर्षद मेहता पर बनी वेब सीरीज ‘द बिग बुल’ का उस पर काफी असर था। पहले वह शेयर बाजार में छोटी रकम का निवेश करता था। फायदा भी हुआ। इसके बाद मोटी आमदनी का चस्का लगा और इसी में पैसे डूबने लगे। जिसके बाद वह बैंक से पैसा निकालने लगा। दिसम्बर 2015 में रविशंकर ने बैंक में कैरियर की शुरुआत की थी।
बैंक की आशा पड़ारी ब्रांच में 4 हजार से भी अधिक लोगों ने अपना अकाउंट खुलवा रखा है। पिछले 4 महीने से कस्टमर्स अपने अकाउंट्स में रुपए जमा करने जाते थे। लेकिन, जब वो अपनी पासबुक अपडेट कराना चाहते थे तो वो होती नहीं थी। क्योंकि, कस्टमर्स को सीधे कह दिया जाता था कि प्रिटिंग मशीन खराब है। तब पासबुक अपडेट नहीं हो पाती था। इस कारण किसी कस्टमर्स को ये नहीं पता चल पाता था कि उनके अकाउंट में कितने रुपए जमा है।
जब ब्रांच मैनेजर के खिलाफ जांच शुरू हुई तो पता चला कि उसने ब्रांच के टेक्निकल सेक्शन में भी गड़बड़ी कर रखी थी, जिस कारण भी कस्टमर्स को पिछले 3-4 महीने से रुपए जमा करने या रुपयों की निकासी पर उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर किसी प्रकार का कोई SMS नहीं मिल रहा था। किसी भी ट्रांजेक्शन की कस्टमर्स को जानकारी नहीं मिल पा रही थी। टेक्निकल सेक्शन में गड़बड़ी कर उसने इसका भरपूर फायदा उठाया। जिन कस्टमर्स के अकाउंट्स से रुपयों की निकासी हुई, उन्हें कोई SMS मिला ही नहीं।
इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के तौर पर ब्रांच के अंदर एक-दो नहीं, बल्कि कई CCTV कैमरे लगे हैं। हर एक कैमरे को चालू स्थिति में हर वक्त रहना चाहिए था। मगर, आशा पड़ारी ब्रांच का कोई भी कैमरा एक्टिव नहीं था। बैंक की विजिलेंस टीम से जुडे़ सोर्स बताते हैं कि पड़ताल और दूसरे स्टाफ से पूछताछ के दौरान पता चला कि रविशंकर ने एक-एक कर सभी CCTV कैमरे को खुद से बंद कर दिया। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के साथ छेड़छाड़ की गई। ताकि उसकी कारिस्तानियां उसमें कैद न हो।
ब्रांच मैनेजर रहते वक्त रविशंकर ने हर उस अकाउंट को खुद से खंगाला, जिसमें मोटी रकम जमा थी। उसने ब्रांच मैनेजर के रूप में मिले पावर और सिस्टम के एक्सेस का गलत इस्तेमाल करते हुए एक-एक कर कई कस्टमर के अकाउंट से ऑनलाइन रुपयों का ट्रांसफर अपनी पत्नी, पिता और भाई समेत दूसरे रिश्तेदारों के अकाउंट्स में कर दिया। बैंक के विजिलेंस की जांच में अब तक 120 से भी अधिक कस्टमर्स के अकाउंट्स से फर्जी निकासी की बात सामने आई है।
ड्यूटी के दौरान अपने जूनियर स्टाफ्स ऊपर रविशंकर धौंस जमाता था। उन्हें ऊपर तक अपनी पहचान होने का डर दिखा था। ब्रांच के अंदर जातिवाद करता था और दूसरे स्टाफ को ताना देता था। इसके अलावा अपने सीनियर अधिकारियों को भरोसे में लेने के लिए वो अक्सर अपनी ब्रांच बुलाता था। उन्हें और इलाके के प्रभावशाली लोगों को पार्टी दिया करता था। इसके प्रभाव को देखकर ब्रांच के जूनियर्स स्टाफ डर के साए में रह रहे थे।