चीन की 28 कंपनियों को अमेरिका ने प्रतिबंध किया

मुंबई– अमेरिका में सत्ता बदली और डॉनल्ड ट्रंप की जगह जो बायडेन आए, लेकिन चिर-प्रतिद्वंद्वी चीन पर सरकार का दबाव बना हुआ है। दरअसल, बायडेन गवर्नमेंट ने गुरुवार को पूर्ववर्ती ट्रंप सरकार की बनाई ब्लैकलिस्ट में चीन की 28 कंपनियों को डाल दिया। 

ब्लैकलिस्ट में जिन कंपनियों का नाम डाला जाता है, उनमें अमेरिकी निवेशकों को पैसा लगाने की इजाजत नहीं होती है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में अवांछित कारोबारी संबंधों को लेकर चीन की 31 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया था। ये कंपनियां चीन की सेना और सुरक्षा एजेंसियों को सैन्य साजोसामान सप्लाई कर रही हैं या सपोर्ट दे रही हैं, जिनका दुरुपयोग हो रहा है। चीन की कुछ और कंपनियों को बैन के दायरे में लाए जाने से अमेरिकी सरकार की बनाई इस ब्लैकलिस्ट में शामिल कंपनियों की संख्या 59 हो गई है। 

जो बायडेन प्रशासन ने जिन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डाला है, उनमें ज्यादातर चीन सरकार को सर्विलांस टेक्नोलॉजी मुहैया कराती हैं। चीन उन कंपनियों की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विरोधियों की आवाज को दबाने और मानवाधिकार का हनन करने में करता है, ऐसा अमेरिकी सरकार का आरोप है। उसका कहना है कि चीन के ऐसा करने से अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है और उनके लोकतांत्रिक मूल्य कमजोर होते हैं। 

चीनी कंपनियों की अमेरिकी ब्लैकलिस्ट में टेलीकॉम, कंस्ट्रक्शन और टेक्नोलॉजी सेक्टर की बड़ी कंपनियां शामिल हैं। इनमें चाइना मोबाइल, चाइना टेलीकॉम, वीडियो सर्विलांस कंपनी हाइकविजन (Hikvision) और चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉर्प का नाम है। चीन के खिलाफ अमेरिकी सरकार की तरफ से उठाए गए कई कदमों से दोनों देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। 

चीन की सरकार ने अपने यहां की कुछ और कंपनियों को अमेरिका की ब्लैकलिस्ट में डाले जाने से पहले के ट्रंप सरकार की ब्लैकलिस्ट के खिलाफ विरोध जताया था। उसका कहना था कि अमेरिकी सरकार का कदम राजनीति से प्रेरित है, इसलिए वह अपने देश की कंपनियों के अधिकारों की रक्षा करेगी। उसका आरोप है कि अमेरिकी सरकार ने चीन की जिन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया है, वह उनसे जुड़े तथ्यों और वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज कर रही है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *