मरने के बाद भी यूपी में दुर्दशा, जहां लाशें दफनाई गई थी, उसे बालू से समतल करा दिया, परिवार वाले अपनों को खोज रहे

मुंबई– प्रयागराज, देश-दुनिया की सुर्खियों में है। वजह है गंगा किनारे दफन हजारों शव। यहां के श्रृंगवेरपुर घाट से पिछले दिनों जो तस्वीरें सामने आईं, वे विचलित करने वाली थीं। एक किलोमीटर के दायरे में एक मीटर से भी कम दूरी पर शव दफनाए गए थे।  

रविवार रात को प्रशासन ने श्रृंगवेरपुर घाट पर रातों-रात जेसीबी और मजदूर लगाकर शवों के निशान मिटा डाले। घाट पर लोगों ने अपने प्रियजनों के शवों की पहचान के लिए जो बांस और चुनरियों से निशान बनाए थे, वो अब पूरी तरह गायब हैं। अब श्मशान घाट के एक किलोमीटर दायरे में सिर्फ बालू ही बालू नजर आ रही है। 

बताया जा रहा है कि प्रशासन ने ये काम इतने गुपचुप तरीके से करवाया कि स्थानीय लोगों को भी भनक नहीं लगी। सुबह तक प्रशासनिक अमला वहां डेरा डाले रहा। लेकिन जब अधिकारियों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। प्रयागराज के एसपी गंगापर धवल जायसवाल का कहना है कि श्रृंगवेरपुर में शवों के निशान कैसे और किसने हटवाए, इसकी जांच की जाएगी। जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। 

श्रृंगवेरपुर घाट पर पुरोहित का करने वाले ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शवों के निशान मिटाने के लिए करीब दो दर्जन मजदूरों को लगाया गया था। इसके अलावा दो जेसीबी भी लगाई गई थीं। जो लकड़ी, बांस और कपड़े, चुनरी और रामनामी शवों से उठाई गईं, उन्हें ट्रॉली में भरकर कहीं और ले जाया गया। बाद में उन्हें जला दिया गया। घाट पर बने मंदिरों में रहने वाले पुरोहित जब सुबह गंगा स्नान को जाने लगे तो देखा पूरा मैदान साफ था। शवों पर से निशान गायब थे।  

घाट किनारे शवों के निशान हटाने से स्थानीय लोग भी नाराज हैं। उनका कहना है कि जब कोरोना का पीक था और ग्रामीण क्षेत्रों से श्रृंगवेरपुर घाट पर 60-100 शव रोज दफनाए जा रहे थे। तब तो प्रशासन ने कोई रोक-टोक नहीं लगाई। इसलिए लोगों को जहां आसान लगा और जगह मिली वहां शवों को दफनाकर चले गए। अब शवों के निशान मिटाने से क्या होगा? 

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