सेबी के खिलाफ पीआईएल, सैट ने सुप्रीम कोर्ट में सेबी की हरकतों के खिलाफ अपील की
मुंबई– शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी की हरकतों से तंग आकर इसकी अपीलेट बॉडी सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (सैट) ने सेबी को जमकर फटकार लगाई है। साथ ही इसने सुप्रीमकोर्ट में सेबी के खिलाफ जनहित याचिका यानी पीआईएल दायर कर दिया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई ट्रिब्यूनल रेगुलेटर के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में पीआईएल फाइल करे।
मामला भी दिलचस्प है। दरअसल कार्वी ब्रोकर जब डिफॉल्ट हुआ था, तब कार्वी ने ग्राहकों का शेयर डीमैट से निकाल एनएसई को दे दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रोकर को मार्जिन देना होता है। एक्सिस बैंक ने इसके लिए गारंटी दी थी। जब ब्रोकर डिफॉल्ट हुआ तो एनएसई ने बैंक की गारंटी जब्त कर ली। एक्सिस बैंक ने कहा कि चूंकि यह एक धोखाधड़ी का मामला है, इसलिए इसमें बैंक गारंटी जब्त नहीं हो सकती है। एनएसई ने बैंक की सभी दलीलें ठुकरा दी।
बैंक ने अपनी गारंटी रिकवर करने के लिए सैट में अपील की। एक्सिस बैंक ने इसमें सेबी और कार्वी को पार्टी बनाया। मामले की सुनवाई हुई तो सेबी ने इसमें कानूनी दांव खेलना शुरू कर दिया। सेबी ने एक एफिडेविट देकर कहा कि सैट के अंदर दो ज्यूडिशियल सदस्य और एक टेक्निकल सदस्य होना चाहिए। टेक्निकल सदस्य 31 मार्च को रिटायर हो गए थे। सेबी ने कहा कि जब तक टेक्निकल सदस्य नहीं होगा, हम सैट के ऑर्डर को नहीं मानेंगे।
सैट ने कहा कि सदस्य की नियुक्ति करने का अधिकार सरकार का है और यह सरकार जब करेगी तब करेगी। लेकिन इससे हमारे फैसले पर कोई असर नहीं होना चाहिए। पिछले दिनों सुनवाई के दौरान सैट ने सेबी को जमकर लताड़ लगाई और इसके साथ ही उसका ऑर्डर रिजेक्ट कर दिया। अब सैट ने सोमवार को एक 44 पेज का ऑर्डर जारी किया। इसमें उसने कहा कि वित्त मंत्रालय या तो टेक्निकल सदस्य की नियुक्ति करे या नियम बदले।
सैट ने इसी ऑर्डर में सेबी की शिकायत भी की है। सैट ने 6 मई को इस पर बहस की थी। 6 मई को सेबी ने सीधे तौर पर कहा था कि जो सैट ट्रिब्यूनल है वह कानूनी तौर पर सही गठित नहीं है। इस पर सैट ने काफी लताड़ लगाई और मामले की सुनवाई अगले दिन की। इसके बाद कल उसने एक लंबा चौड़ा ऑर्डर जारी कर दिया। सैट ने ऑर्डर में कहा है कि रजिस्टर्ड कापी सुप्रीमकोर्ट में भेजी जाए और इसे सेबी के खिलाफ पीआईएल मानी जाए।
दरअसल सैट का पावर जो है वह हाईकोर्ट के जैसा है। क्योंकि सैट से कोई भी केस रिजेक्ट होती है तो उसके खिलाफ अपील सुप्रीमकोर्ट में ही होती है। सुप्रीमकोर्ट के 1997 के जजमेंट के मुताबिक, एक ट्रिब्यूनल जो न्यायिक समीक्षा के लिए एक वैकल्पिक संस्थागत तंत्र के रूप में हाई कोर्ट का विकल्प है उसे हाई कोर्ट की तुलना में कम प्रभावकारी नहीं होना चाहिए। इस तरह के ट्रिब्यूनल को विश्वास और सार्वजनिक सम्मान को प्रेरित करना चाहिए। यह दर्शाना चाहिए कि यह जुडिशियल अप्रोच और उद्देश्यों के साथ एक अत्यधिक सक्षम और विशेषज्ञ तंत्र है।
वैसे यह पहली बार नहीं है। सैट ने ऐसे कई मामलों में सेबी को जमकर लताड़ लगाई है। सेबी हर बार सैट में होने वाली सुनवाई में इसी तरह की दलीलें रखता है। जिससे इस बार सैट ने इसे गंभीर मानकर सीधे सुप्रीमकोर्ट में सेबी की शिकायत कर दी है।