कोरोना के समय अस्पतालों के खर्च से आपका बैंक खाता हो सकता है खाली, हेल्थ बीमा ही है एकमात्र रास्ता
मुंबई– देश में कोरोना महामारी का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में सही इलाज और वित्तीय सुरक्षा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी हो गया है। अगर आपने अभी तक कोई इंश्योरेंस प्लान नहीं लिया है और आप इन दिनों कोरोना या अन्य बीमारियों के इलाज को कवर करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने का विचार कर रहे हैं, तो देरी न करें।
इसमें बीमा कंपनी आपके बीमार होने पर आपके इलाज का खर्च उठाती है। इसके तहत अस्पताल में भर्ती होने, इलाज, सर्जरी, अंग प्रत्यारोपण आदि से संबंधित खर्च कंपनी उठाती है। इससे आपकी जेब पर भार नहीं पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति को कोरोना होता है और वो इसका इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराता है तो इसका खर्च 10 से 12 लाख तक जा सकता है। ऐसे में इस खर्च से बचने के लिए और परिवार को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी हो गया है।
बीमा कंपनियां कई तरह की बीमा पॉलिसियां ऑफर कर रही हैं। हर बीमा कंपनी के अपने नियम होते हैं। हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले यह समझ लें कि उसमें कितना और क्या-क्या कवर होगा। जिस पॉलिसी में ज्यादा से ज्यादा चीजें जैसे टेस्ट का खर्च और एम्बुलेंस का खर्च कवर हो उस पॉलिसी को लेना चाहिए। ताकि आपको जेब से पैसे खर्च न करने पड़ें।
कई कंपनियां घर पर ही रह कर इलाज कराने पर होने वाले खर्च को भी कवर कर रही हैं। इसके अलावा कई बीमा कंपनियां सरकार द्वारा बनाए जाने वाले क्वारैंटाइन सेंटर पर भर्ती होकर इलाज कराने पर होने वाले खर्च को भी कवर कर रही हैं। इंश्योरेंस लेते समय ये देख लें कि आपकी कंपनी ये सुविधा दे रही है या नहीं।
अगर आप पैसे देकर कोरोना वैक्सीन लगवाते हैं तो ये खर्च हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होगा। हालांकि अगर आपके पास OPD कवर है तो इसमें इसका खर्च कवर हो सकता है। आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में वहीं खर्च कवर होगा जो आपके हॉस्पिटल के बिल में शामिल होगा। अगर आप बाहर से कोई ऑक्सीजन सिलेंडर या दवा खरीदकर लाते हैं जो बिल में शामिल नहीं है तो इसका खर्च बीमा कंपनी नहीं उठाएगी।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का मतलब यह नहीं होता कि पॉलिसी खरीदने के पहले दिन से ही इंश्योरेंस कंपनी आपको कवर करने लगेगी। बल्कि, आपको क्लेम करने के लिए थोड़े दिन रुकना पड़ेगा। पॉलिसी खरीदने के बाद से लेकर जब तक आप बीमा कंपनी से कोई लाभ का क्लेम नहीं कर सकते, उस अवधि को एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का वेटिंग पीरियड कहा जाता है। ये अवधि 15 से 90 दिनों तक की हो सकती है। आपको ऐसी कम्पनी से पॉलिसी लेनी चाहिए, जिसका वेटिंग पीरियड कम हो।
अगर आपके पास पहले से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है, लेकिन वो पर्याप्त नहीं है तो आप कोरोना के इलाज के लिए अलग से पॉलिसी ले सकते हैं। सरकार ने कोरोना के लिए अलग से कोरोना रक्षक और कोरोना कवर नाम की पॉलिसी शुरू की है, लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना जरूरी है, ये आपको किसी भी बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर इसका खर्च उठाएगी।
कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती होने पर इसके इलाज में 10 से 12 लाख रुपए तक का खर्च आ सकता है। हालांकि इलाज पर होने वाला खर्च बीमार व्यक्ति की उम्र पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर देखा जा रहा है कि सीनियर सिटीजन के इलाज में ज्यादा खर्च आ रहा है।