रांची में शवों को जलाने के लिए लंबी कतार, स्मशान भी नहीं मिल रहे, 1 दिन में जले 60 शव

मुंबई– रांची में कोरोना के दौर में होने वाली मौतों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले 10 दिनों में रांची के श्मशान और कब्रिस्तान में अचानक शवों के आने की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। रविवार को रिकॉर्ड 60 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें 12 शव कोरोना वाले थे। जिनका दाह संस्कार घाघरा में सामूहिक चिता सजाकर किया गया। इसके अलावा 35 शव पांच श्मशान घाटों पर जलाए गए और 13 शवों को रातू रोड और कांटाटोली कब्रिस्तान में दफन किया गया। सबसे अधिक शवों का दाह संस्कार हरमू मुक्ति धाम में हुआ। 

मृतकों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि मुक्तिधाम में चिता जलाने की जगह कम पड़ गई। लोगों ने घंटों इंतजार किया, फिर भी जगह नहीं मिली तो लोग खुले में ही चिता सजाकर शव जलाने लगे। श्मशान में जगह नहीं रहने की वजह से मुक्तिधाम के सामने की सड़क पर वाहनों की पार्किंग में ही शव रखकर अंतिम क्रिया करने लगे। हालात ऐसे हो गए कि देर शाम मुक्तिधाम में कई लोग शव लेकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। 

शव जलाने के लिए अब लोगों को निगम-प्रशासन से गुहार लगानी पड़ रही है। मोक्षधाम में इलेक्ट्रिक शव दाह की मशीनें खराब हुईं तो मारवाड़ी सहायक समिति के पदाधिकारियों के पास कुछ ही देर में पांच फोन आए। सबकी एक ही मांग थी- अंतिम संस्कार की व्यवस्था जल्दी करवा दीजिए। हरमू मुक्तिधाम में वर्षों से लाश जलाने वाले राजू राम ने कहा- ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा। लोग जहां गाड़ियां पार्क करते हैं, वहां अर्थियों की कतार लगी है। एंबुलेंस से शव निकालकर सड़क पर ही रख रहे हैं। अंतिम संस्कार से पहले विधि-विधान भी नहीं हो रहे। 

मौत का आंकड़ा बढ़ा तो हरमू मोक्षधाम में शव जलाने वाली मशीनें भी ठप हो गईं। गैस से चलने वाली ये मशीनें जरूरत के हिसाब से गर्म नहीं हो पा रही थीं। इसके बाद मारवाड़ी सहायक समिति प्रबंधन ने साफ कर दिया कि जब तक मशीनें ठीक नहीं होगी, तब तक यहां दाह-संस्कार नहीं हो सकता। यह शहर का एकमात्र मोक्षधाम है, जहां कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार होता है। दोपहर तक 12 शवों की कतार लग गई। देर शाम तक मशीन ठीक करने की कोशिश नाकाम रही तो देर रात घाघरा श्मशान घाट पर एक साथ सामूहिक चिता पर संस्कार हुआ। 

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