सरकार ऐतिहासिक रूप से जुटा सकती है 2 लाख करोड़, 1.75 लाख करोड़ का है लक्ष्य

मुंबई– केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेच कर 2 लाख करोड़ रुपए के करीब जुटा सकती है। सरकार का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए का है। अगर सरकार 2 लाख करोड़ जुटाती है तो यह पहली बार होगा जब यह आंकड़ा सरकार टच करेगी। हालांकि अभी तक 1 लाख करोड़ रुपए किसी एक वित्त वर्ष में सरकार ने जुटाने का रिकॉर्ड बनाया है।  

सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें IPO, OFS, कंपनियों की रणनीतिक रूप से हिस्सेदारी बेचना और अन्य तरीके हैं। हालांकि पिछले साल 2020-21 में सरकार को केवल 32,835 करोड़ रुपए मिले। जबकि उसका लक्ष्य 2.10 लाख करोड़ रुपए का था।  

सरकार ने इस वित्त वर्ष में जिन बड़ी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है, उसमें देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), लगातार मुनाफा कमाने वाली भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), लगातार घाटे में चल रही और पिछले 20 सालों से बिकने की कोशिश कर रही एयर इँडिया, शिपिंग कॉर्पोरेशन, कंटेनर कॉर्पोरेशन, IDBI बैंक, BEML और पवन हंस जैसी कंपनियां हैं।  

सरकार को सबसे ज्यादा पैसा उसकी दुधारू गाय जैसी कंपनी LIC से मिलेगा। इसके जरिए सरकार 90 हजार से 1 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखी है। BPCL से उसे 60 हजार करोड़ के करीब मिल सकते हैं। एयर इंडिया से उसे 20 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। बाकी कंपनियों से 1 हजार से लेकर 5 हजार करोड़ रुपए तक मिल सकते हैं। इसी तरह सरकार दो बैंकों और 1 जनरल इंश्योरेंस कंपनी का प्राइवेटाइजेशन करेगी। इससे भी सरकार को पैसे मिलेंगे।  

LIC अब तक का भारतीय बाजार में सबसे बड़ा IPO लेकर आएगी। हालांकि इसके नियमों में ढेर सारे बदलाव करने हैं इसलिए यह अगले साल जनवरी तक ही IPO ला पाएगी। इसके IPO की घोषणा फरवरी 2020 के बजट में की गई थी। इसका मार्केट कैप लिस्टिंग के समय 8-10 लाख करोड़ रुपए हो सकता है। ऐसे में इसका 10% सरकार बेचती है तो उसे 80 हजार करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं।  

जैसी की उम्मीद है LIC और BPCL से ही सरकार को 1.60 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं। अगर दोनों कंपनियों में सरकार हिस्सेदारी बेचने में सफल होती है तो उसे ज्यादा पैसा मिल सकता है। सरकार ने बजट में कहा है कि वह 1 लाख करो़ड़ रुपए सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर जुटाएगी। 75 हजार करोड़ डिसइन्वेस्टमेंट से आएंगे।  

स्ट्रेटेजिक सेक्टर में सरकार की कम हिस्सेदारी होगी 

सरकार के मुताबिक उसके स्ट्रेटेजिक सेक्टर में 4 सेक्टर्स होंगे। इसमें अटॉमिक एनर्जी, अंतरिक्ष और रक्षा, ट्रांसपोर्ट और टेलीकम्युनिकेशन, पावर, पेट्रोलियम, कोल और अन्य मिनरल्स होंगे। इसी तरह से बैंकिंग और इंश्योरेंस और फाइनेंशियल सर्विसेस भी स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स हो सकते हैं। इसमें सरकार बहुत ही कम हिस्सेदारी रखेगी। बाकी के सेक्टर्स या तो प्राइवेट कर दिए जाएंगे या फिर किसी और कंपनी में मिला दिए जाएंगे या फिर उन्हें बंद कर दिया जाएगा।  

1991 से लेकर अब तक सरकार ने 312 कंपनियों में हिस्सेदारी बेची है। इसके जरिए 5.12 लाख करोड़ रुपए जुटाए गए हैं। 1991-92 में जिन कंपनियों में हिस्सेदारी सबसे पहले बिकी थी उसमें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी SAIL, विदेश संचार निगम (VSNL), स्टेट ट्रेडिंग कॉर्प ऑफ इंडिया, शिपिंग कॉर्प ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय केमिकल फर्टिलाइजर, नेविले लिग्नाइट और नेशनल अल्युमिनियम थी।  

इसी साल में मिनरल्स एंड मेटल ट्रेडिंग, MTNL, मद्रास रिफाइनरीज, कोच्चि रिफाइरीज, इरकॉन इंटरनेशनल, इंडियन पेट्रो केमिकल, HMT लिमिटेड में भी हिस्सेदारी बिकी। इनके अलावा हिंदुस्तान जिंक, हिंदुस्तान फोटो फिल्म, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, हिंदुस्तान केबल, हिंदुस्तान कॉपर, फर्टिलाइजर केमिकल्स त्रावणकोर, ड्रेजिंग कॉर्प, CMC लिमिटेड, हिंदुस्तान आर्गेनिक, भारत पेट्रोलियम, भारत हैवी, भारत इलेक्ट्रिकल, भारत अर्थमूवर्स, एंड्र्यू युले में भी सरकार ने हिस्सेदारी बेची। 

कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड के एमडी निलेश शाह कहते हैं कि रणनीतिक विनिवेश, उपयुक्त पोजिशनिंग और बेहतर प्रदर्शन से सरकार को विनिवेश के मोर्चे पर बजट में लक्ष्य से कहीं अधिक कामयाबी मिल सकती है। सरकार पहले ही रणनीतिक विनिवेश (Strategic Divestment) और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर जोर दे चुकी है। सरकार को सबसे अच्छे बैंकर्स को नियुक्त करना चाहिए और इसे ठीक से अमल करना चाहिए।  

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग कहते हैं कि वित्त वर्ष 2022 में अगर LIC और BPCL जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी बिकती है तो सरकार लक्ष्य से ज्यादा पैसा जुटा सकती है। इससे सरकार का रेवेन्यू का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस के चेयरमैन मोतीलाल ओसवाल कहते हैं कि ऐतिहासिक रूप से सरकार ने दो बार 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जुटाई है। साथ ही इन्हीं दो सालों में लक्ष्य से ज्यादा पैसा मिला है।  

ओसवाल कहते हैं कि वित्त वर्ष 2022 में अगर LIC 1 लाख करोड़ देती है और BPCL से 80 हजार करोड़ रुपए मिलता है तो सरकार को 2 लाख करोड़ से ज्यादा की रकम मिल जाएगी। सरकार 2021-22 में आधा दर्जन बड़ी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने में सफल हो सकती है और इन्हीं से उसका लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा।  

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