धर्मसंकट में है सरकार, पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से ग्राहकों को हो रही है परेशानी- वित्तमंत्री
मुंबई– वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों से ग्राहकों को परेशानी हो रही है। सरकार इस बात को समझ रही है। लेकिन सरकार के लिए यह एक धर्मसंकट जैसी स्थिति है। हमारा कर्तव्य है कि हम ईंधन पर लगने वाले टैक्स के बारे में बताऊं।
एक इवेंट में निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्य सरकारें और केंद्र सरकार दोनों इंधन से अपना रेवेन्यू वसूल रही हैं। इसलिए दोनों को मिलकर इस बढ़ी हुई कीमतों को कम करने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा यह कर्तव्य है कि मैं लोगों को ईंधन पर लगने वाले टैक्स के बारे में बताऊं। अभी तक हमें देश के किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री से इंधन के टैक्स पर चर्चा करने का मौका नहीं मिला है।
वित्तमंत्री ने कहा कि मुझको इस बात का निर्णय लेना पड़ सकता है कि क्या अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक में ईंधन की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा जाए। गुरुवार को ही देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्याकांति घोष ने कहा था कि अगर पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में ले लिया जाए तो पूरे देश में इसकी कीमतें 75 रुपए हो सकती है। पर इसके लिए देश में राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव है जिसकी वजह से देश में ऑयल प्रोडक्ट की कीमतें आसमान पर बनी हुई हैं।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर ग्लोबल क्रूड प्राइस 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहता है और डॉलर के मुकाबले रुपया 73 के आसपास रहता है तो डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इसकी कीमत 68 रुपए प्रति लीटर के आसपास आ जाएगी। ऐसा करने से केंद्र और राज्य सरकारों को सिर्फ 1 लाख करोड़ या जीडीपी का 0.4 फीसदी राजस्व घाटा होगा।
वैसे शुक्रवार को देश में ईंधन की कीमतों में लगातार 6वें दिन कोई बदलाव नहीं हुआ। दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल की कीमतें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। तेल उत्पादक देशों के समूह OPEC और सहयोगी देशों ने उत्पादन में कटौती को अप्रैल तक बढ़ा दिया है। ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स नहीं घटाती हैं, तो फ्यूल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। कुछ शहरों में पहले ही एक लीटर पेट्रोल 100 रुपए के पार बिक रहा है। OPEC और उसके सहयोगी देशों ने तेल उत्पादन में कटौतियों के अपने-अपने मौजूदा लेवल बरकरार रखने का फैसला किया, जबकि फ्यूल डिमांड प्री-कोविड लेवल पर पहुंच गया है।
हालांकि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने की मांग के बीच केंद्र सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। सरकार एक्साइज ड्यूटी में 8.5 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर सकती है। फिलहाल पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 32.90 रुपए और डीजल पर 31.80 रुपए प्रति लीटर लग रही है। इस समय केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल पर 60% और डीजल पर 54% टैक्स वसूलती हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 100 रुपए के पार पहुंच गई है।