मुंबई में झोपड़ी की जगह मुफ्त मिले फ्लैट को समय से पहले ही बेच दे रहे हैं मालिक
मुंबई- मुंबई में सरकार ने जिन लोगों को झुग्गी झोपड़ी से निकालकर रहने के लिए मुफ्त में फ्लैट दिया था, उनमें से हर आठ में से एक शख्स उसे बेचकर कहीं और शिफ्ट हो गया है। इस बात का पता बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर मुंबई के झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (SRA) की तरफ से कराए जा रहे सर्वे से चला है। प्राधिकरण ने अब तक ऐसे 86,429 मकानों का सर्वे कराया है। इसमें 10,983 मकान ऐसे पाए गए हैं, जहां असल आवंटी यानी मकान मालिक नहीं कोई और रह रहा है।
झुग्गी वालों को दिए गए मकानों में किसी और के रहने की बात का पता करने के लिए पिछले पाँच साल से सर्वे चलाया जा रहा है। SRA के नियमों के हिसाब से इन मकानों को आवंटन के 10 साल के बाद ही बेचा जा सकता है या उसका मालिकाना हक किसी को दिया जा सकता है।
SRA के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर सतीश लोखंडे के मुताबिक, ‘सर्वे से पहले अथॉरिटी को पता चला था कि 2,581 मकानों पर गलत लोगों का कब्जा है।’ सर्वे में ऐसे कुल 13,564 मकान मिले हैं जिनमें गलत लोगों का कब्जा है। लोखंड़े ने कहा कि ऐसे कब्जे को मॉनसून सीजन से पहले हटाने का प्रोसेस पूरा करने के लिए हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद पिछले साल मार्च में एक मीटिंग की गई थी। लेकिन कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से कब्जा हटाया नहीं जा सका।
झोपड़पट्टी वालों को मुफ्त मकान देने वाली सरकारी नीति पूरी गलत है। उनका कहना है कि मुंबई में झोपड़पट्टियों का जाल है और ज्यादातर प्राइम लोकेशन पर हैं। यहां जुहू के नेहरू नगर में 10 गुना 10 वर्ग फुट की अवैध झुग्गी 16-18 लाख की पड़ती है। इस हिसाब से जमीन का रेट 16,000 से 18,000 रुपये प्रति वर्ग फुट बनता है। ऐसे में जब तक उन्हें इससे कम का मकान नहीं दिया जाएगा, समस्या खत्म नहीं होगी।
कुछ लोग कहते हैं कि लोग झुग्गी खरीदने में पैसा लगाते हैं। सरकार को जमीन चाहिए इसलिए वह मुफ्त मकान दे रही है। लेकिन ये मकान इमारतों में बनी झुग्गी जैसी होते हैं। ऐसे में बेहतर रिहाइश के लिए लोग ऐसे मकान बेचकर विरार और कल्याण जैसे दूर दराज के इलाके में चले जाते हैं। SRA के आंकड़ों के मुताबिक, जब से अथॉरिटी बनी है तब से 23 सालों में सिर्फ 2.1 लाख परिवारों को नए मकान दिए गए हैं, जबकि स्कीम में 40 लाख लोगों को मकान देने की योजना है।
झोपड़पट्टी वालों को मकान देने की सरकारी स्कीम का दूसरा पहलू भी है। SRA के हालिया एस्टीमेट के मुताबिक, 2005 के बाद से झोपड़पट्टी के पुनर्वसन वाली 533 परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं या बंद हैं। पिछले साल नवंबर में SRA ने प्रोजेक्ट शुरू नहीं करने वाले डेवलपर्स को उनकी जगह किसी और को लाने के लिए नोटिस जारी करना शुरू किया था। SRA के मुताबिक, डेवलपर्स को डेड प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।