1 लाख करोड़ डॉलर के रिटेल बाजार के लिए तैयारी, जेफ बेजोस-मुकेश अंबानी के विवाद पर विदेशी निवेशकों की नजर

मुंबई– भारत के अनुमानित 1 लाख करोड़ डॉलर के रिटेल मार्केट पर हावी होने के लिए दुनिया के दो सबसे अमीर बिजनेस मैन जेफ बेजोस और मुकेश अंबानी की लड़ाई पर अब विदेशी निवेशकों की भी नजर है। सोमवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में स्टे (यथास्थिति) को हटा दिया है। इस फैसले से मंगलवार को फ्यूचर ग्रुप के शेयरों में अपर सर्किट लग गया। अपर सर्किट का मतलब कि एक दिन में उससे ज्यादा शेयर की कीमत नहीं बढ़ सकती है। इस ग्रुप की कई कंपनियों के शेयरों में 10 पर्सेंट तक आज बढ़त रही। 

इस सप्ताह अमेज़न.कॉम इंक की कानूनी लड़ाई में नए घटनाक्रम दिखे हैं। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज फ्यूचर रिटेल के असेस्ट्स को खरीदने की डील की है। इस डील को रोकने के लिए अमेजन ने कोर्ट में केस कर रखा है। यह देश की रिटेल सेक्टर की सबसे बड़ी डील है। पिछले हफ्ते दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जज ने फ्यूचर ग्रुप फर्मों को अपनी संपत्ति बेचने से रोक दिया था। सोमवार को कोर्ट में जजों के एक सेट ने उस फैसले को खारिज कर दिया। अमेजन अब सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। 

यह केस निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल कायम कर सकता है। क्योंकि यह देखा जाएगा कि क्या इस मामले में विदेशी अर्बिट्रेटरों के निर्णय भारत में मान्य हैं। अमेजन ने सिंगापुर की एक इमरजेंसी आर्बिट्रेशन कोर्ट के आदेश के साथ भारतीय कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें फ्यूचर रिटेल को रिलायंस के साथ सौदा करने से रोक दिया गया था। इस फैसले से विदेशी निवेशकों को भारत में समझौतों का आंकलन करने में मदद मिल सकती है, जिसे विश्व बैंक ने वेनेजुएला, सीरिया और सेनेगल से भी बदतर स्थान दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत कांट्रैक्ट ठीक से लागू न करने के मामले में सबसे गए गुजरे देशों में है। 

दिल्ली में पूर्व सिविल जज भरत चुग कहते हैं कि “फॉरेन आर्बिट्रेशन को प्रभावी नहीं होने देना भारत की साख को और भी ज्यादा बट्‌टा लगाता है। भारत पहले से ही इस मामले में बदनाम रहा है। कॉन्ट्रैक्ट्स और फॉरेन आर्बिट्रेशन फैसलों को तेजी से लागू करना विदेशी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है। खासकर तब, जब निवेशक इसका आंकलन करते हैं। फ्यूचर रिटेल के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी है कि यह सौदा फ्यूचर ग्रुप को दिवालियापन से बचने और नौकरियां बचाने का एकमात्र मौका है। अमेजन का मामला तब सामने आया है जब दो बड़े फॉरेन आर्बिट्रेशन ने भारत के खिलाफ फैसले दिए हैं।  

सितंबर में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (international arbitration tribunal) ने कहा था कि भारत ने वोडाफोन समूह पीएलसी के साथ 22 हजार करोड़ रुपए के टैक्स विवाद में गलत तरीके से काम किया। एक अन्य फैसले में ट्रिब्यूनल ने भारत को इसी तरह की विफलता के लिए केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.2 अरब डॉलर लौटाने का आदेश दिया। भारत ने सिंगापुर में वोडाफोन के फैसले को चुनौती दी है। सोमवार को संसद में इस बात की जानकारी दी गई।  

अमेज़न ने कस्टमर लॉयल्टी प्रमोशन के लिए फ्यूचर ग्रुप फर्म के साथ एक पार्टनरशिप एग्रीमेंट का हवाला दिया। उसने कहा कि इसमें मुकेश अंबानी की कंपनी को संपत्ति बेचने से फ्यूचर ग्रुप को प्रतिबंधित किया गया है। किसी भी विवाद की स्थिति में सिंगापुर में ही आर्बिट्रेशन किया जा सकता है। फ्यूचर रिटेल ने कोर्ट में दलील दी है कि सिंगापुर का इमरजेंसी आर्बिट्रेशन आदेश भारत में लागू योग्य नहीं था।  

पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज ने इस सौदे पर रोक लगाते हुए कहा था कि उनका शुरुआती विचार है कि सिंगापुर की इमरजेंसी आर्बिट्रेशन कोर्ट का आदेश वैलिड है। इसे भारत में लागू किया जा सकता है। फ्यूचर की अपील पर, दो जजों के पैनल ने इस सौदे की अनुमति देते हुए कहा कि फ्यूचर रिटेल अमेजन और फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड के बीच समझौते का पार्टी नहीं था। इसकी सुनवाई 26 फरवरी से होगी।  

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