यूलिप में कर रहे हैं निवेश तो आपको अब टैक्स छूट नहीं मिलेगी
मुंबई– अगर आप यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (ULIP) में पैसा लगाने की सोच रहे हैं और आपका मकसद इस तरह से केवल मैच्योरिटी पर टैक्स-फ्री कमाई हासिल करना है तो अब आपको सावधान होना चाहिए। बजट में प्रावधान किया गया है कि अगर यूलिप में जाने वाला प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है, तो इसमें मिलने वाली यह छूट आपको नहीं मिलेगी। यह नियम 1 फरवरी 2021 के बाद खरीदे जाने वाले यूलिप पर लागू हो गया है।
इस तरह की यूलिप को कैपिटल एसेट के तौर पर लिया जाएगा और इन यूलिप से होने वाले मुनाफे और फायदों को कैपिटल गेन्स के तहत टैक्सेबल माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि यूलिप पॉलिसीज पर होने वाले फायदे रिडेंप्शन या मैच्योरिटी के वक्त शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म गेन्स (LTCG) टैक्स के अधीन माने जाएंगे। ऐसा ही दूसरे इक्विटी-आधारित निवेशों पर होता है।
एक साल से ज्यादा होल्ड करने पर इक्विटी निवेश को लॉन्ग टर्म एसेट माना जाता है। हालांकि, पॉलिसी होल्डर की मृत्यु होने पर उस पर निर्भर लोगों को मिलने वाली रकम अभी भी टैक्स-फ्री होगी। मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों के मुताबिक, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज की मैच्योरिटी की रकम को सेक्शन 10 (10D) के तहत टैक्स से छूट हासिल होती है। यूलिप इनवेस्टमेंट और बीमा पॉलिसीज का मिलाजुला रूप होती हैं। इनका निवेश इक्विटीज, कॉरपोरेट डेट और सरकारी सिक्योरिटीज में होता है। इस लिहाज से इनकी तुलना म्यूचुअल फंड्स से की जा सकती है।
यूलिप पांच साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आती हैं और इसके बाद आप अपनी पॉलिसीज को सरेंडर कर सकते हैं और इस पर कोई चार्ज नहीं लगता है। सेक्शन 10(10D) के तहत मिलने वाला एग्जेंप्शन यूलिप को इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले बढ़त देता है। इसकी वजह यह है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर इनके इक्विटी-आधारित निवेश पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) लगता है। 2018 के केंद्रीय बजट में इन पर यह टैक्स लगाने का फैसला किया गया था।
किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा के गेन्स पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। हालांकि, अब से 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के सालाना प्रीमियम वाली यूलिप पर टैक्स छूट का ये फायदा नहीं मिलेगा। बजट में कहा गया है कि एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के तहत पॉलिसी टर्म के दौरान किसी शख्स के सालाना चुकाए जाने वाले प्रीमियम पर कोई ऊपरी सीमा तय नहीं है। ऐसे मामले सामने आए हैं जहां ऊंची नेटवर्थ वाले लोगों ने भारी प्रीमियम वाली यूलिप में पैसे लगाकर इस क्लॉज के तहत एग्जेंप्शन का फायदा उठाया है। भारी प्रीमियम वाली पॉलिसीज को इस तरह की छूट देना इस क्लॉज के मकसद को नाकाम करता है। इसका मकसद जीवन बीमा के छोटे और वास्तविक मामलों को राहत मुहैया कराने का था।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूलिप को टैक्स के असमान फायदे के चलते निवशकों की यूलिप्स में दिलचस्पी ज्यादा बढ़ी है। एक फंड हाउस के एग्जिक्यूटिव ने कहा कि ये उत्पाद अमीर निवेशकों को बेचे जा रहे थे क्योंकि गेन्स पर उन्हें टैक्स के फायदे इनमें मिल रहे थे। अब एमएफ उत्पाद यूलिप के साथ निवेश पर मिलने वाले रिटर्न के लिहाज से बराबरी कर सकते हैं।

