अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट में इंडस्ट्री के लिए आ सकती हैं बड़ी घोषणाएं

मु्ंबई– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट में इंडस्ट्री के लिए बड़ी घोषणाएं कर सकती हैं। कॉर्पोरेट और इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप का मानना है कि सरकार हेल्थकेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर खर्च की घोषणा कर सकती है।

अनुमान यह भी है कि ऑटोमोटिव, मैन्युफैक्चरिंग और पर्यटन इंडस्ट्रीज के लिए टैक्स में कटौती आ सकती है। हेल्थकेयर और फार्मा को रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) के निवेश पर अच्छा इंसेंटिव मिल सकता है। इसमें टैक्स में कटौती हो सकती है। इंडियन फार्मा अलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन कहते हैं कि अगर यह हो जाता है तो फार्मा इंडस्ट्री के लिए बहुत अच्छा होगा।

रियल इस्टेट और इंफ्रा सेक्टर में भी इसी तरह की टैक्स कटौती की राहत मिल सकती है। घर खरीदारों के लिए कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। साथ ही कंस्ट्रक्शन की बढ़ती लागत के लिए एक रेगुलेशन की भी घोषणा हो सकती है। यानी सीमेंट, स्टील आदि की कीमतों को एक तय सीमा में रखने के लिए एक रेगुलेटर बन सकता है।

ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की बात करें तो इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम (PLI) के रोडमैप को जारी किया जा सकता है। इसमें कमर्शियल वाहनों की नीतियों को आसान किया जा सकता है। PLI स्कीम के बारे में हालांकि पहले से ही घोषणा हो चुकी है। इसी के साथ हाइब्रिड इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण और इसके सामानों को सपोर्ट करने के लिए भी कुछ घोषणाएं हो सकती हैँ।

एविएशन सेक्टर के लिए एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF)के टैक्स और लेवी में कटौती हो सकती है। इसमें एयरपोर्ट चार्ज, पार्किंग चार्ज और लैंडिंग एवं नेविगेशन चार्ज आदि हैं। मूडीज की भारतीय यूनिट इक्रा ने इस तरह की संभावना जताई है।

टूरिज्म और हॉस्पिटालिटी के लिए लिक्विडिटी सपोर्ट मिल सकता है। इसमें कर्ज के लिए कम कोलैटरल और कम से कम 6 महीने के मोरेटोरियम पर फैसला हो सकता है। घरेलू यात्रियों के लिए पर्सनल टैक्स के मामले में छूट मिल सकती है।

रिटेल की बात करें तो नेशनल रिटेल पॉलिसी आ सकती है। इससे ऑन लाइन सेलर्स को मदद मिलेगी। इसमें ई-कॉमर्स और फिजिकल रिटेल को पॉलिसी के तहत लाया जाएगा।
इसी तरह कोरोना में बैंकों के बढ़े बुरे फंसे कर्जों ( NPA) से निपटने के लिए सरकार बैड बैंक की घोषणा कर सकती है। यह चर्चा काफी लंबे समय से चल रही है। इसके लिए सरकार एक सही तरीके से रेगुलेशन और अन्य की घोषणा कर सकती है। साथ ही सरकारी बैंकों को पैसा भी देने की घोषणा हो सकती है। सरकारी बैंकों को इस समय करीबन 43 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है।

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