यूपी एफडीआई का उभरता केंद्र, 2025-26 की पहली छमाही में 5,963 करोड़ निवेश

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) के दौरान 5,963 करोड़ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, यह निवेश प्रदेश में बढ़ते वैश्विक निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है।

उत्तर प्रदेश में 2023-24 में 2,762 करोड़ का एफडीआई मिला था। 2024-25 में बढ़कर 3,700 करोड़ हो गया। 2000 से 2025 के बीच 22,279 करोड़ का निवेश आया है। निवेश में यह वृद्धि निवेश अनुकूल नीतियों, कारोबार करने में आसानी और औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार का परिणाम है। उत्तर प्रदेश एफडीआई को केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा तक सीमित रखने के बजाय टियर-2 शहरों तक विस्तार करने पर भी जोर दिया जा रहा है।

कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज में विशेष प्रोत्साहन

कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर जैसे शहरों में निवेश आकर्षित करने के लिए क्षेत्र-विशेष प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्रों में पूंजी सब्सिडी 35 प्रतिशत तक दी जा रही है। गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद जैसे विकसित क्षेत्रों में यह 25 प्रतिशत तक है।

उत्तर प्रदेश एफडीआई नीति- 2023 के तहत निवेशकों को विभिन्न रियायतें प्रदान की जा रही हैं। इनमें 25 प्रतिशत तक फ्रंट एंड भूमि सब्सिडी, 100 करोड़ की वार्षिक सीमा के साथ पूंजी सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में 100 प्रतिशत छूट व पांच वर्षों के लिए विद्युत शुल्क से पूर्ण छूट शामिल है।

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण व नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष जोर

राज्य सरकार वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी), इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मा और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। निवेश प्रोत्साहन एजेंसी इन्वेस्ट यूपी ने सिंगापुर, जापान, रूस, जर्मनी, फ्रांस, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण कोरिया के लिए विशेष डेस्क स्थापित किए हैं।

एक लाख एकड़ का औद्योगिक भूमि बैंक तैयार

राज्य सरकार ने एक लाख एकड़ का औद्योगिक भूमि बैंक तैयार किया है। भूमि पूलिंग, वर्टिकल औद्योगिक पार्क और ब्राउनफील्ड पुनर्विकास जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं। निवेश मित्र 3.0 पोर्टल निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से विकसित किया जा रहा है। इसके तहत दस्तावेजों की संख्या में 50 प्रतिशत तक कमी और स्वीकृति समय सीमा में 30 प्रतिशत तक कटौती का लक्ष्य रखा गया है।

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