म्यूचुअल फंड निवेशकों को फायदा, अतिरिक्त 0.05 फीसदी शुल्क अब होगा समाप्त
मुंबई- पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड, आईपीओ से लेकर कई सारे बदलाव किए हैं। बुधवार को बोर्ड मीटिंग में नियामक ने म्यूचुअल फंड योजनाओं पर पहले लगाए जाने वाले अतिरिक्त 0.05 फीसदी को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह, प्रतिभूति लेनदेन कर, जीएसटी और स्टांप शुल्क जैसे वैधानिक शुल्कों को आधार खर्च अनुपात (बीईआर)से बाहर रखा गया है। इंडेक्स फंड और ईटीएफ के लिए बीईआर को एक फीसदी से घटाकर 0.9 फीसदी कर दिया गया है।
सेबी के प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने कहा, बैठक में ब्रोकरेज, एक्सचेंज और नियामक शुल्क के लिए वर्तमान अनुमत खर्चों के साथ सभी वैधानिक करों प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी), वस्तु लेनदेन कर (सीटीटी) और स्टांप शुल्क को खर्च अनुपात सीमाओं से बाहर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब खर्च अनुपात सीमा को आधार खर्च अनुपात कहा जाएगा। वर्तमान में प्रबंधन शुल्क पर जीएसटी, निर्धारित खर्च अनुपात सीमा (टीईआर) के अतिरिक्त लगता है। हालांकि, अन्य सभी वैधानिक शुल्क म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए निर्धारित समग्र टीईआर सीमा का हिस्सा हैं।
प्रस्तावित खर्च अनुपात सीमाएं वैधानिक शुल्क से अलग होंगी, ताकि भविष्य में वैधानिक शुल्क में कोई भी परिवर्तन निवेशकों पर लागू हो सके। निवेशकों के हितों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि खर्च केवल एक बार ही उचित रूप से वसूला जाए, नकद बाजार लेनदेन के लिए ब्रोकरेज शुल्क को 0.12 फीसदी से घटाकर 0.06 फीसदी और डेरिवेटिव लेनदेन के लिए 0.05 फीसदी से घटाकर 0.02 फीसदी कर दिया गया है। एक ऐसा प्रावधान पेश किया गया है जो योजना के प्रदर्शन के आधार पर खर्च अनुपात वसूलने में सक्षम बनाएगा और यह एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) के लिए स्वैच्छिक होगा।
संपत्तियों के खुलासे पर नहीं हुई चर्चा
सेबी ने अपने शीर्ष नेतृत्व और अधिकारियों के लिए हितों के टकराव संबंधी नियमों को सख्त करने के प्रस्तावों पर महत्वपूर्ण निर्णय को टाल कर दिया है। सेबी का कहना है कि विभिन्न हितधारकों से मिली प्रतिक्रिया के मद्देनजर इन सिफारिशों पर गहन चर्चा की जरूरत है। उसके बोर्ड ने हितों के टकराव, खुलासे और नैतिकता पर बनी उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर आगामी बैठक में विचार करने का निर्णय लिया है।
म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए यह फैसले
नियम आसान होंगे। वार्षिक रिपोर्ट जैसे निवेशक संचार को डिजिटाइज करने और पूंजी संरक्षण और रियल एस्टेट म्यूचुअल फंड जैसे अप्रचलित प्रावधानों को हटाने का निर्णय लिया है। अनिवार्य ट्रस्टी बैठकों की संख्या कम होंगी। योजना परिवर्तनों के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन बंद करके उनकी जगह ऑनलाइन घोषणाएं करने की मंजूरी। दोहराव वाली रिपोर्टिंग को हटाकर अनुपालन को आसान बनाने का निर्णय। रियल एस्टेट म्यूचुअल फंड और इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड योजना से संबंधित अनावश्यक अध्यायों को हटाने का भी निर्णय हुआ है। विनियमन का आकार 162 पृष्ठों से घटकर 88 पृष्ठों का हो गया है। मौजूदा विनियमन में 67,000 शब्द थे, जो नए मसौदे में घटकर 31,000 रह गए हैंं। कई नए प्रावधानों की संख्या 59 से घटाकर 15 से भी कम कर दी गई है।
स्टॉक ब्रोकरों के लिए
बोर्ड ने विनियमों को ग्यारह अध्यायों में ला दिया है। इससे स्टॉक ब्रोकरों के लिए आसानी होगी। कुछ अनुसूचियों को हटा दिया है जिनकी अब जरूरत नहीं है और समझ में सुधार के लिए सीधे विनियमों में अध्यायों के रूप में एकीकृत किया है। योग्य स्टॉक ब्रोकरों की पहचान के मानदंडों को आसान बनाया है।
आईपीओ : सेबी ने आईपीओ से संबंधित कई प्रस्तावों को मंजूरी दी। इससे खुदरा निवेशकों के लिए आईपीओ की बारीकियों को समझना आसान होगा।
लॉक-इन की जटिलताएं होंगी दूर
एक प्रमुख बदलाव गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों के लिए किया गया है। इसमें शेयर लॉक-इन से संबंधित जटिलताओं को दूर किया गया है। मौजूदा नियमों के तहत गैर-प्रवर्तकों के धारित अधिकांश प्री-आईपीओ शेयर आवंटन के बाद छह महीने के लिए लॉक-इन होने चाहिए। आईपीओ सुधारों का उद्देश्य स्पष्ट खुलासे, लॉक-इन के बेहतर प्रवर्तन और प्रारंभिक चरण में महत्वपूर्ण इश्यू विवरणों तक आसान पहुंच के माध्यम से खुदरा निवेशकों की सुरक्षा करना है।

