पीएलआई प्रमुख चालक, दो लाख करोड़ रुपये का निवेश, 12.6 लाख रोजगार

मुंबई- देश की उत्पादन-संबंधी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) विनिर्माण विस्तार, निवेश और निर्यात वृद्धि का एक प्रमुख चालक बनकर उभरी है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में इसके ठोस लाभ दिखे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सितंबर तक पीएलआई योजनाओं के कारण 14 क्षेत्रों में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का वास्तविक निवेश हुआ है।

आंकड़ों के अनुसार, दो लाख करोड़ रुपये के निवेश से 18.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त उत्पादन और बिक्री हुई है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 12.6 लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं। घरेलू क्षमता निर्माण और आयात के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इसका प्रभाव विशेष रूप से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। फार्मा और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में पीएलआई कार्यक्रम ने घरेलू मांग और विनिर्माण क्षमता के बीच के अंतर को कम करने में मदद की है। अकेले चिकित्सा उपकरण योजना के तहत 21 मंजूर परियोजनाओं ने 54 विभिन्न उपकरणों का उत्पादन शुरू कर दिया है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार विनिर्माण क्षेत्रों में भी समान रूप से तेज वृद्धि देखी गई है। घरेलू मोबाइल फोन उत्पादन 2014-15 में 18,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 5.45 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह 28 गुना वृद्धि दर्शाता है। दूरसंचार क्षेत्र में आयात प्रतिस्थापन लगभग 60 प्रतिशत तक हासिल कर लिया गया है। इससे भारत एंटिना, जीपीऑन उपकरण और ग्राहक परिसर उपकरण जैसे उत्पादों में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो गया है। वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों ने देश में विनिर्माण केंद्र स्थापित किए हैं। इससे भारत 4जी और 5जी दूरसंचार उपकरणों के एक महत्वपूर्ण निर्यातक के रूप में स्थापित हुआ है।

घरेलू सामानों में 10,478 करोड़ के निवेश की उम्मीद

घरेलू सामान सेगमेंट में, एयर कंडीशनर और एलईडी लाइटों के लिए पीएलआई योजना के तहत स्वीकृत 84 कंपनियों के 10,478 करोड़ का निवेश किए जाने की उम्मीद है। इससे घरेलू विनिर्माण क्षमता को और मजबूती मिलेगी। 30 सितंबर तक पीएलआई योजनाओं के तहत 12 क्षेत्रों को कवर करते हुए कुल 23,946 करोड़ के प्रोत्साहन वितरित किए जा चुके थे। इनमें बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, आईटी हार्डवेयर, थोक औषधियां, चिकित्सा उपकरण, फार्मा, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, ड्रोन और ड्रोन घटक, विशेष स्टील, वस्त्र व ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक शामिल हैं।

माल निर्यात में भी मजबूती

निर्यात के मोर्चे पर वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अप्रैल से अक्तूबर 2025 के बीच माल निर्यात में मजबूती देखी गई। अमेरिका, यूएई और चीन जैसे बाजारों में स्मार्टफोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रबल मांग के चलते इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में 41.94 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चावल, फल, मसाले, कॉफी और समुद्री उत्पादों सहित कृषि निर्यात में भी स्थिर वृद्धि रही। नाइजीरिया और अमेरिका जैसे देशों की मांग के चलते दवा निर्यात में 6.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत की सबसे बड़ी निर्यात श्रेणी इंजीनियरिंग सामान में जर्मनी, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका को अधिक निर्यात के कारण 5.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

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