जापानी कंपनियां भारतीय रियल एस्टेट में लगा रहीं बड़ा दांव, अरबों डॉलर का निवेश तैयार
नई दिल्ली। जापान की कंपनियां भारतीय रियल एस्टेट में बड़ा दांव खेल रही हैं। ये अरबों डॉलर के निवेश की तैयारी में हैं। ताजे मामले में जापान की सबसे बड़ी प्रॉपर्टी डेवलपर मित्सुई फुदोसान भारतीय प्रॉपर्टी परियोजनाओं में 19-22 करोड़ डॉलर या उससे ज्यादा का नया निवेश कर सकती है। मित्सुई फुदोसान ने 2020 में भारत में प्रवेश किया था। बंगलूरू में एक ऑफिस कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए स्थानीय डेवलपर आरएमजेड रियल एस्टेट के साथ साझेदारी की थी।
जापान की तीसरी सबसे बड़ी डेवलपर कंपनी सुमितोमो रियल्टी एंड डेवलपमेंट मुंबई को टोक्यो के बाद अपने विकास का दूसरा इंजन मानती है। इसने शहर में पांच परियोजनाओं के लिए पहले ही 6.5 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें इस साल जोड़ी गई दो साइटें भी शामिल हैं। कंपनी नए निवेश के लिए जल्द ही चालू होने वाले नवी मुंबई हवाई अड्डे के आसपास जमीन की तलाश भी कर रही है।
भारतीय बाजार में अन्य जापानी डेवलपर्स में दाइबिरू कॉर्प भी शामिल है। इसने पिछले साल दो शहरों में कार्यालय सौदों में निवेश के साथ शुरुआत की थी। इसकी मूल कंपनी मित्सुई ओएसके लाइन्स के दक्षिण एशिया सीईओ आनंद जयरामन ने बताया, कंपनी अब ज़मीन की तलाश कर रही है।आवासीय भवन और डाटा सेंटर विकसित करने पर भी विचार कर सकती है।
अमेरिकी फर्मों की भी है दिलचस्पी
भारतीय संपत्ति बाजार में लाभ कमाने की चाहत रखने वाले अकेले जापानी निवेशक ही नहीं हैं। अमेरिकी निवेश फर्म ब्लैकस्टोन भारत की सबसे बड़ी वाणिज्यिक मकान मालिक है। इसकी 50 अरब डॉलर की भारतीय परिसंपत्तियों में से लगभग आधी अचल संपत्ति में हैं। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र के सबसे आशाजनक रियल एस्टेट निवेश बाजारों में से एक के रूप में उभर रहा है, क्योंकि गहन संस्थागत भागीदारी और व्यापक परिसंपत्ति-वर्ग विस्तार परिदृश्य को नया रूप दे रहे हैं।
2024 में विदेशी संस्थागत निवेश का हिस्सा 54 फीसदी
2023 में 65 फीसदी की तुलना में भारी गिरावट के बावजूद 2024 में विदेशी निवेशकों की संस्थागत निवेश में 54 फीसदी हिस्सेदारी रही। यह 3.7 अरब डॉलर रही। कोलियर्स के 2026 ग्लोबल इन्वेस्टर आउटलुक के अनुसार, एशिया प्रशांत की ओर एक निर्णायक बदलाव हो रहा है, जहां निवेशक नए आत्मविश्वास के साथ वैश्विक रियल एस्टेट बाजारों में फिर से प्रवेश कर रहे हैं। जापान, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे बाजार सीमा पार पूंजी के लिए शीर्ष गंतव्य बने हुए हैं, लेकिन निवेशक उच्च रिटर्न और निवेश के अवसरों के लिए भारत की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। औद्योगिक एवं भंडारण क्षेत्र में सालाना आधार पर 190 फीसदी (कुल निवेश का 39 फीसदी) की वृद्धि देखी गई।

