देश के सरकारी बैंकों में 49 फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी दे सकती है सरकार

मुंबई: सरकारी बैंकों में 49 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी मिल सकती है। यह वर्तमान सीमा 20 फीसदी के दोगुना से भी ज्यादा है। यह कदम सरकारी और निजी बैंकों के लिए नियमों के बीच के अंतर को कम करने के प्रयास का हिस्सा है। निजी बैंकों में एफडीआई की वर्तमान सीमा 74 फीसदी तक है।

वित्त मंत्रालय कुछ महीनों से भारतीय रिजर्व बैंक के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहा है। प्रस्ताव को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। भारत के बैंकिंग उद्योग में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। दुबई के एमिरेट्स एनबीडी ने हाल में करीब 27,000 करोड़ रुपये (3 अरब डॉलर) में आरबीएल बैंक में 60 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है। जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्प ने करीब 17,000 करोड़ रुपये में यस बैंक में 25 फीसदी हिस्सा खरीदा है।

सरकारी बैंकों में विदेशी स्वामित्व की सीमा बढ़ाने से उन्हें आने वाले वर्षों में और अधिक पूंजी हासिल करने में मदद मिलेगी। भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर पिछले तीन वित्त वर्षों में औसतन 8 फीसदी की रही है। ऋण की मांग में भी तेजी आई है। इससे देश के ऋणदाताओं का आकर्षण बढ़ा है। जनवरी से सितंबर के बीच भारत के वित्तीय क्षेत्र में सौदे 127 फीसदी बढ़कर 8 अरब डॉलर हो गए।

भारत में 12 सरकारी बैंक हैं। इनकी संयुक्त संपत्ति मार्च तक 1.71 लाख करोड़ रुपये थी। यह पूरे बैंकिंग क्षेत्र का 55 फीसदी हिस्सा है। सरकार सरकारी बैंकों में न्यूनतम 51 फीसदी हिस्सेदारी बनाए रखने की योजना बना रही है। वर्तमान में सभी 12 बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी इससे बहुत अधिक है। कुछ में तो 90 फीसदी तक है।

विदेशी हिस्सेदारी 12 फीसदी तक

स्टॉक एक्सचेंजों के आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर तक सरकारी बैंकों में विदेशी हिस्सेदारी केनरा बैंक में लगभग 12% से लेकर यूको बैंक में लगभग शून्य के स्तर तक है। सामान्य तौर पर सरकारी बैंकों को उनके निजी समकक्षों की तुलना में कमजोर माना जाता है। आरबीआई ने पिछले कुछ महीनों में बैंकिंग क्षेत्र में नियमों को कम करने और आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। साथ ही विदेशी बैंकों को भारतीय निजी ऋणदाताओं में बड़ी हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए और अधिक खुला रुख अपनाया है।

इसलिए 49 फीसदी की सीमा

49 फीसदी सीमा के बाद 51 फीसदी हिस्सा सरकारी बैंकों के पास रहेगा। ऐसे में बैंक पर नियंत्रण घरेलू निवेशकों का ही रहेगा। यह हिस्सेदारी छोटे और बड़े निवेशकों सहित सरकार की भी होगी। इससे विदेशी हाथों में बैंकों का नियंत्रण नहीं जाएगा। बैंकों के बोर्ड में विदेशी कंपनियों के भी अधिकारी होंगे। निवेश आने से बैकोंं को विस्तार करने में मदद मिलेगी। वैश्विक स्तर पर उनकी पहुंच आसान होगा।

शेयर 4 फीसदी से ज्यादा चढ़े

इस खबर के बाद सोमवार के कारोबारी सत्र में निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 3.02 फीसदी बढ़कर 8053 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। अंत में 2.22 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ। सरकारी बैंकों के शेयर 4.48 फीसदी तक बढ़ गए। एसबीआई का शेयर 2.08 फीसदी, पीएनबी का 2.48 फीसदी, केनरा का 2.78 फीसदी, बैंक ऑफ बड़ौदा का 2.87 फीसदी, यूनियन बैंक का 2.08 फीसदी और बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 4.48 फीसदी चढ़कर बंद हुआ।

शीर्ष बैंकों में सरकार का हिस्सा

भारतीय स्टेट बैंक       55.50 फीसदी

पंजाब नेशनल             70.08 फीसदी

केनरा बैंक                 62.93 फीसदी

बैंक ऑफ बड़ौदा       63.97 फीसदी

यूनियन बैंक               74.76 फीसदी

बैंक ऑफ इंडिया       73.38 फीसदी

बैंक ऑफ महाराष्ट्र      79.60 फीसदी

सेंट्रल बैंक                 89.27 फीसदी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *