दिवाली का उत्साह : एक दिन में यूपीआई से 1.02 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार

मुंबई: दिवाली और त्योहारी अवसर के चलते यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये 18 अक्तूबर को 1.02 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, इस दिन कुल 75.4 करोड़ लेनदेन किए गए। साथ ही, जीएसटी दरों में कटौती के बाद उपभोक्ता मांग में तेज उछाल देखने को मिला है।

धनतेरस से दिवाली के बीच तीन दिनों में औसत यूपीआई लेनदेन 73.69 करोड़ रहा। यह पिछले महीने के समान अवधि के 64.74 करोड़ से ज्यादा अधिक है। वित्त मंत्री ने कहा, इस बार खुदरा कारोबार के लिए क्रैकर वाली दिवाली रही, क्योंकि जीएसटी दरों में कमी से मध्यवर्गीय उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता बढ़ी है। जीएसटी 2.0 लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिली है। इससे लोगों की खरीद शक्ति बढ़ी। कारोबार में सुगमता आई। दरों में कमी से परिवारों को वास्तविक बचत का लाभ मिला और बाजार में मांग को बढ़ावा मिला।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस साल दिवाली की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। कुल 6.05 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। यह 2024 की त्योहारी बिक्री (4.25 लाख करोड़ रुपये) से करीब 25 फीसदी ज्यादा है। यह देश के व्यापार इतिहास की सबसे बड़ी बिक्री मानी जा रही है। सर्वे के अनुसार, कुल बिक्री में लगभग 85 फीसदी हिस्सा मुख्य खुदरा बाजार का रहा, जो पारंपरिक बाजारों की मजबूत वापसी को दर्शाता है।

मिठाइयों, गृह सज्जा, रेडीमेड वस्त्र, जूते-चप्पल और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ता खरीद में तेज वृद्धि हुई है।सर्वे के मुताबिक, करीब 72 प्रतिशत व्यापारियों ने बताया कि उनकी बिक्री में बढ़ोतरी सीधे जीएसटी में कमी के कारण हुई। उपभोक्ताओं ने भी स्थिर कीमतों से संतुष्टि जताई, जिससे दिवाली के बाद भी खरीदारी की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद है।

देश में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि आई है। 2025 के पहले छह महीनों में कुल भुगतान लेनदेन में डिजिटल भुगतान का हिस्सा 99.8 फीसदी हो गया है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान कुल भुगतान लेनदेन मूल्य में डिजिटल भुगतान का हिस्सा 97.7 फीसदी है। कुल भुगतान लेनदेन 1,572 लाख करोड़ रुपये का था। इसमें से 1,536 करोड़ रुपये डिजिटल भुगतान के रूप में किए गए। सीतारमण ने कहा, गैर-कॉरपोरेट और गैर-कृषि क्षेत्र अब भारत की आर्थिक वृद्धि का अहम आधार बन चुके हैं। इनमें 9 करोड़ से अधिक छोटे व्यवसाय, लाखों छोटे विनिर्माण इकाइयां और विशाल उपभोक्ता वर्ग शामिल हैं।

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